पश्चिम बंगाल का नाम बदलने के लिए केन्द्र के पास फिर प्रस्ताव भेजेगी ममता सरकार

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की ममता सरकार राज्य का नाम बदलकर ‘बांग्ला’ करने के लिए केन्द्र सरकार के पास फिर से प्रस्ताव भेजेगी। राज्य सरकार चाहती है कि पश्चिम बंगाल का नाम हिंदी, इंग्लिश और बांग्ला भाषा में ‘बांग्ला’ लिखा जाए। विधानसभा में शुक्रवार को इस पर सहमति बनी है कि केन्द्र सरकार ने नाम बदलने से जुड़ा राज्य का प्रस्ताव भले ही ठुकरा दिया हो, लेकिन इसके लिए एक बार फिर से कोशिश की जानी चाहिए। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस, माकपा और कांग्रेस ने एक सुर में इसको लेकर सदन में आवाज बुलंद की है। इसके बाद स्पीकर विमान बनर्जी ने कहा कि विधानसभा में नाम बदलने संबंधी प्रस्ताव पारित करने के बाद केन्द्र सरकार के पास भेजा गया था। इसे केन्द्र ने ठुकरा दिया है, इसलिए इस प्रस्ताव को दोबारा भेजा जाए।
विधानसभा में माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि सर्वसम्मति से राज्य का नाम बदलने के लिए प्रस्ताव पारित हुआ था। यह संवैधानिक प्रक्रिया है। इसे पूरा करने के बाद ही केन्द्र सरकार के पास भेजा गया था। अब भाजपा कह रही है कि नाम नहीं बदलने देंगे। यह अधिकार से बलपूर्वक वंचित करने जैसा है। राज्य का नाम बदलने संबंधी निर्णय पर जल्द कदम उठाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सबसे पहले 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर ‘पश्चिमबंग’ करना चाहा था। तब भी विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा गया था, लेकिन इसे नहीं माना गया। वर्ष 2011 में ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनीं और इसके बाद से कई बार नाम परिवर्तन के लिए प्रस्ताव भेजा गया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सदन में कहा कि 2003 से लेकर अब तक राज्य सरकार की ओर से आठ बार राज्य का नाम बदलने के लिए केन्द्र के पास प्रस्ताव भेजा जा चुका है। केन्द्र सरकार ने हर बार जो भी निर्देश और सुझाव दिए हैं उसे हमलोगों ने पूरा किया है। एक बार कहा गया कि हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला तीनों भाषा में एक नाम होना चाहिए। इसलिए हमलोगों ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर ‘बांग्ला’ करने पर प्रस्ताव पारित कर भेजा था। अब इसे भी मंजूरी नहीं दी जा रही है। सरकार दोबारा केन्द्र सरकार को चिट्ठी लिखकर राज्य का नाम परिवर्तन करने की अपील करेगी। 
उन्होंने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि बांग्लादेश के साथ ‘बांग्ला’ का नाम एक जैसा होने के कारण नाम परिवर्तन नहीं किया जा सकता। मैं कहना चाहती हूं कि भारत में भी पंजाब है और पाकिस्तान में भी। बांग्लादेश एक देश है और पश्चिम बंगाल एक राज्य। देश और राज्य के नाम की तुलना नहीं की जा सकती। ऐसे में केन्द्र सरकार को तत्काल पश्चिम बंगाल का नाम बदलने के बारे में सोचना चाहिए। इसके बाद स्पीकर विमान बनर्जी ने कहा कि एक बार फिर केन्द्र सरकार के पास राज्य का नाम बदलने के लिए आवेदन किया जाएगा।  
उल्लेखनीय है कि 19 जून 2011 को ममता सरकार ने सर्वदलीय बैठक की थी। इसमें तय किया गया था कि बांग्ला और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में राज्य का नाम पश्चिमबंग रखा जाना चाहिए। दो सितंबर 2011 को विधानसभा में इससे संबंधित प्रस्ताव पास किया गया था और नाम बदलने संबंधी प्रस्ताव केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया था। 14 सितंबर 2011 को राज्य सरकार ने पहली बार आवेदन किया था। फिर तत्कालीन सरकार ने विधानसभा में पारित हुए प्रस्ताव की प्रति मांगी थी जिसे राज्य सरकार ने चार अक्टूबर 2012 को भेजा था, लेकिन इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया। फिर 29 अगस्त 2016 को एक बार फिर राज्य विधानसभा में इससे संबंधित प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें राज्य का नाम बदलकर अंग्रेजी में ‘बांग्ला’ और हिंदी में “बंगाल” रखने पर सहमति बनी। उसी वर्ष सितंबर में राज्य सरकार ने इससे संबंधित प्रस्ताव भी केन्द्र सरकार के पास कर दिया था। केन्द्र ने नाम बदलने से इनकार करते हुए सुझाव दिया था कि हिंदी, बांग्ला और इंग्लिश तीनों ही भाषाओं में एक ही नाम सुझाया जाए। फिर राज्य सरकार ने आठ सितंबर 2017 को एक और प्रस्ताव विधानसभा में पारित किया था, जिसमें पश्चिम बंगाल का नाम हिंदी, इंग्लिश और बांग्ला तीनों ही भाषाओं में ‘बांग्ला’ करने पर सहमति बनी थी। इसके बाद एक बार फिर केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास इससे संबंधित आवेदन किया गया। 29 जुलाई 2018 को एक और प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें तीनों ही भाषाओं में राज्य का नाम बदलने को लेकर सहमति बनी, लेकिन अब तक केन्द्र सरकार ने नाम नहीं बदला है। 

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