हाई कोर्ट ने कोरोना संक्रमण के रोकथाम और मरीजों के इलाज में लापरवाही पर सरकार को लगाई फटकार

अहमदाबाद : गुजरात हाई कोर्ट ने आज राज्य में कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने से विफल रहने और रेमडेसिवर इंजेक्शन के मामले में राज्य सरकार को फटकार लगाई है। 
  दरअसल, कोरोना मामलों को स्वत: संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से कुछ तीखे सवाल पूछे थे और सरकार की कुछ नीतियों पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी। गुरुवार को हाई कोर्ट में इस मामले में ऑनलाइन सुनवाई हुई।कोर्ट में गुजरात सरकार की ओर से महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि वर्तमान में राज्य में कोरोना की सुनामी है। वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद याग्निक ने कहा कि प्रत्येक जिले में एक आरटीपीसीआर परीक्षण प्रयोगशाला होनी चाहिए और साथ ही प्रत्येक नगरपालिका में परीक्षण सुविधा होनी चाहिए। जनजातीय क्षेत्र जिले में आरटीपीसीआर परीक्षण की कई समस्याएं हैं, बेड भी उपलब्ध नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में परीक्षण और उपचार की सुविधा स्थापित की जानी चाहिए। कोर्ट में गुजरात के मुख्य स्वास्थ्य प्रमुख सचिव जयंती की ओर से दाखिल 61 पन्नों के हलफनामा में दावा किया है कि राज्य में बेड की कोई कमी नहीं है। अहमदाबाद के 142 अस्पतालों में 6,283 बेड उपलब्ध हैं। अहमदाबाद नगर निगम निजी नामित अस्पतालों में आरक्षित बेड का 20 फीसदी भुगतान करेगा। इसके अलावा, दो सप्ताह में अहमदाबाद में 900 बेड वाला कोविड अस्पताल स्थापित किया जाएगा। मोरबी को दो 550 बेड के कोविड अस्पताल स्थापित करने के लिए कहा गया है।सरकार ने कोर्ट को बताया कि रात कर्फ्यू, 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ परिचालन संबंधी निर्णय, शादी और मौत के मामले में 50 लोगों से अधिक पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया जा चुका है। हलफनामे में राज्य सरकार ने बताया कि राज्य में सप्ताहांत कर्फ्यू या पूर्ण लॉकडाउन का कोई इरादा नहीं है।हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि कोरोना केस के आंकड़े सटीक नहीं हैं, रेमडेसिवर इंजेक्शनों की कमी है। ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा, क्या यह सच है? ऑक्सीजन की कालाबाजारी हो रही है, जल्द ही इसकी व्यवस्था करें।कोर्ट ने महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी से कहा कि राज्य के बारे में बात कर रहे हैं, केवल अहमदाबाद के बारे में बात नहीं करते हैं। यदि आप कहते हैं कि बिस्तर खाली है, तो मरीज वापस क्यों जा रहे हैं। 

This post has already been read 4334 times!

Sharing this

Related posts