Health : इटकी रोड (रांची) स्थित जसलोक अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डा जितेंद्र सिन्हा का कहना है कि बुजुर्ग लोग तन कर सीधा खड़ा नहीं हो पाते । चलने के दौरान उनकी कमर झुक जाती है। बैठकर उठने के बाद पैर भर्रा जाता है। हमेशा मालिश करवाने की इच्छा होती है।
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ये सभी एक बिमारी के लक्षण है जिसे ओस्टियो मालाशिया कहते है। विटामिन डी की कमी होते ही कैल्सियम के कमी हो जाती है, जिससे हड्डियों के पुननिर्माण में रूकावट आने लगती है और हड्डियां पतले बांस की तरह लचीली होने लगती है।
विटामिन डी का उत्पादन सूर्य द्धारा प्राकृतिक तरीके से होता रहता है। धूप में रहने पर हमारी त्वचा अल्ट्रा वायलेट अवशोषित कर विटामिन डी के रूप में खून तक पहुँचा देती है। भारत में सूर्य के प्रकाश की कोई कमी नहीं है। फिर तीन चौथाई आबादी विटामिन डी की कमी से क्यों पीड़ित हैं? इसके पीछे भारतीयों का सांवला रंग और मोटी चमड़ी है जो सूर्य के प्रकाश को ठीक से अवशोषित नहीं होने देता। बुज़ुर्ग मे यह प्रक्रिया बिल्कुल रूक ही जाती है। इसी कारण बड़ी आबादी ओस्टियो मालाशिया रोग से पीड़ित हैं।
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लकड़ी के फर्नीचर में जिस तरह घुन लग जाता है कुछ इसी तरह ओस्टियोमालाशिया में हड्डिया पतली और कमजोर हो जाती है। हड्डियों में कनकनाहट मांसपेशियों मे दर्द और हलके चोट से चटक जाती है। शिशुओं को यदि बार बार खाॅसी व जुकाम हो रहा हो तो वह भी विटामिन डी की कमी का पहचान होता हैं। विटामिन डी का स्तर नार्मल करते हीं बुजुर्ग लोगों में भुलक्कड़पन, तेज धड़कन और हाई शुगर लेवल में चमत्कारिक सुधार होता है ।
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