Jharkhand : राय विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह के पावन अवसर राज्यपाल-सह-विजिटर महोदय का सम्बोधन

Ranchi : झारखण्ड राय विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में आप सभी के बीच आकर मुझे हार्दिक खुशी हो रही है। उपाधि ग्रहण करने वाले सभी विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य हेतु मेरी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें। आप विद्यार्थियों पर एक बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी भी है। आपको सामाजिक मुद्दों को विवेकपूर्ण तरीके से देखने की जरूरत है। मैं उनके अभिभावकों और शिक्षकों को भी बधाई देना चाहूँगा, जिनके कारण इन विद्यार्थियों ने यह उपलब्धि हासिल की है।

माननीय राज्यपाल-सह-विजिटर महोदय का सम्बोधन:-

 दीक्षांत समारोह सभी उपाधिधारकों के लिए महत्वपूर्ण और उत्साहपूर्ण अवसर होता है और विद्यार्थियों को अपने भविष्य का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित करता है। यहाँ से आपकी ज़िंदगी की कसौटी आरंभ होती है। उपाधिधारक विद्यार्थियों के सामने उनका सुनहरा भविष्य प्रतीक्षा कर रहा है।
 यह क्षण विद्यार्थियों के लिए अपनी सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करने के साथ आगामी जीवन सफर तय करने की दिशा में एक नया कदम भरने का रोमांच एवं नये दायित्वों को भी निभाने को प्रेरित करता है। अब आपको जीवन में अपना मार्ग स्वयं ढूँढना हो और बनाना है।

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 जीवन में कुछ पाने के लिए हमेशा मन में सीखने की इच्छा व लालसा रखनी चाहिए। आप अपने ज्ञान व विवेक का उपयोग करते हुए सदा अपने कर्मों से स्वयं का, अपने समाज, अपने शिक्षण संस्थान के साथ राज्य व राष्ट्र का नाम रौशन करें।
 हमने अपने देश में उच्च शिक्षा के दायरे का काफी विस्तार किया है और आज हमारे शिक्षण संस्थानों में पहले से कहीं अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। लेकिन, हमें जिस बात पर अब भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, वह है शिक्षा की गुणवत्ता और यह सुनिश्चित करना कि हम अपने युवाओं के लिए सर्वोत्तम संभव शिक्षा प्रदान करायें।


 हमारा दायित्व सिर्फ विद्यार्थियों को किताबों तक सीमित रखना, उन्हें स्वर्ण पदक देना, डिग्रियाँ बाँटना तक ही सीमित नहीं होना चाहिये, अपितु उनमें चेतना जागृत कर उनमें जीवन में बेहतर करने की भूख जगाना, उनकी प्रतिभा को उभारना, उनमें आत्मनिर्भरता पैदा करना और उन्हें एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व देना होना चाहिये।
 यह बहुत ही सुखद बात है कि आज हमारी बेटियाँ शिक्षा के प्रति काफी जागरूक हैं और काफी अच्छा भी कर रही हैं। कहा जाता है कि एक बेटी पढ़ती है तो वह पूरे परिवार व समाज को शिक्षित करती है। अगर समाज शिक्षित हो जाएगा तो बाल विवाह, दहेज-प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयाँ अपने-आप ही समाप्त हो जायेगी।
 मेरा मानना है कि किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए उसके विद्यार्थी ही उसकी पूंजी और ब्रांड एम्बेसडर होते हैं क्योंकि ये विद्यार्थी ही जब जीवन में बेहतर मुकाम हासिल करते हैं तो कहीं ना कहीं उनकी सफलता के साथ उस संस्थान की भी एक विशिष्ट पहचान बनती है और नाम होता है।
 मैंने हमेशा कहा है कि विश्वविद्यालयों में बेहतर आधारभूत संरचना का होना अति आवश्यक है। मेरे द्वारा राज्य के निजी विश्वविद्यालय के कुलपतियों के साथ समीक्षा बैठक में राज्य में स्थापित हर विश्वविद्यालय को निदेश दिया गया कि वे यू०जी०सी० के मापदंडों का पालन सुनिश्चित करे एवं विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु तत्पर रहे।
 मैं चाहता हूँ कि राज्य में स्थापित निजी विश्वविद्यालय छात्रहित में समर्पित भाव से कार्य करें एवं अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों के अनुकरणीय बनें।
 शिक्षा को वर्तमान और भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए विद्यार्थियों को ज्ञान व कौशल से युक्त करने के साथ उनमें मानवीय मूल्यों, नैतिकता को भी बढ़ावा देना चाहिए। एक मजबूत नैतिक दृष्टिकोण वाला व्यक्ति अडिग रहेगा और सत्यनिष्ठा के साथ समझौता नहीं करेगा। शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य में सर्वश्रेष्ठ गुणों को विकसित और व्यक्ति का समग्र विकास करना होना चाहिए।

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 किसी भी शिक्षण संस्थान को समाज का विश्वास प्राप्त होना बहुत जरूरी है। मैं चाहता हूँ कि हमारे विश्वविद्यालय जन-अपेक्षाओं को पूर्ण करने की दिशा में आगे बढ़ें, वे विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के साथ सामाजिक दायित्वों का भी निर्वहन करें।
 शिक्षा एक ऐसा आधार है जिस पर किसी राष्ट्र एवं उसके लोगों की प्रगति निर्भर करती है। हमें अपने गौरवशाली अतीत को नहीं भूलना चाहिए, जहाँ दुनिया भर के शोधकर्ता और ज्ञान-साधक नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षा केंद्रों में अध्ययन के लिए आते थे।
 निजी विश्वविद्यालयों को अपने ‘प्लेसमेंट सेल’ को भी प्रभावी बनाने की दिशा में ध्यान देना जरूरी है। विश्वविद्यालय को टीम वर्क की भावना से कार्य करते हुए विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, अनुशासन, सदाचार आदि जैसे नैतिक गुणों को विकसित करने की दिशा में भी ध्यान देना चाहिये।
 हमारा देश युवाओं का देश है और हमें अपने युवाओं में स्थित रचनात्मक शक्ति और रचनात्मक ऊर्जा पर पूर्ण उम्मीद है। भविष्य को दिशा देने का उत्तरदायित्व हमारे युवाओं पर ही है और युवाओं को सही दिशा देने का अहम कार्य हमारे शिक्षण संस्थानों का ही है।

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 आप देश के विश्वास पर खरा उतरें, कठिन परिश्रम करें, अपना आत्मविश्वास बढ़ायें, सकारात्मक सोच रखें और प्रतिबद्धता के साथ अपने कर्म करते रहें ताकि आपकी एक विशिष्ट और अलग पहचान बने तभी आप देश और समाज के लिए अमूल्य संपदा सिद्ध होंगे।
 आपको आपकी मंजिल मिले, आपके सपने पूरे हों। आप अपने जीवन हर पग पर कामयाबी हासिल करें, मेरा आशीर्वाद सदा आपके साथ है।

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