ग्रीन पटाखे लाना सरकार का अच्छा कदम

-योगेश कुमार सोनी-

इस वर्ष से दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों की ब्रिकी शुरु हो गई है। इस बात की घोषणा केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने की है। बताया जा रहा है कि इन पटाखों से 30 प्रतिशत प्रदूषण में कमी आएगी। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष दीपावली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था और ग्रीन पटाखों को लाने पर जोर दिया था। ग्रीन पटाखों का सुझाव केंद्र सरकार ने ही दिया था।

यह बताना जरूरी है कि ग्रीन पटाखे क्या होते हैं। दरअसल, यह पटाखे राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान की खोज हैं। ये देखने में अन्य पटाखों जैसे ही होते हैं पर इनके जलने से प्रदूषण बहुत कम होता है। सरकार पूरे देश में ग्रीन पटाखे लाने पर काम कर रही है। फिलहाल, इस साल दिल्ली-एनसीआर से इसकी शुरुआत कर रही है। यदि अच्छा रिस्पांस मिला तो फिर इसे देशभर में लागू किया जाएगा। बढ़ते प्रदूषण को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक चिंतित हैं। अपने देश में भी यह समस्या विकराल होते जा रही है। खासकर, महानगरों में तो बुरा हाल है। शुद्ध हवा नहीं मिलने से सांस की बीमारियां बढ़ती जा रही हैं।

दिल्ली-एनसीआर के परिवेश में बात करें तो बीते कुछ वर्षों में यहां की आबोहवा विषाक्त हो गई है। बढ़ते ट्रांसपोर्ट, पराली जलाने और पटाखों के प्रदूषण से दिल्ली-एनसीआर के लोगों की जान आफत में रहती है। हाईकोर्ट ने तो दिल्ली को गैस चेम्बर तक कह दिया है। दरअसल, अक्टूबर-नवम्बर में प्रदूषण हवा में घुलकर रह जाता है क्योंकि सर्दी की प्रांरभिकता होती है और मौसम में बदलाव की वजह से हवा कम चलती है। इससे प्रदूषण 50 से 70 फुट तक ही घुमता रहता है। इस वजह से सांसों के जरिये हमारे शरीर में घुसकर यह स्वास्थय पर सीधा प्रहार करता है। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, इस मामले में हर कोई गंभीरता दिखाते हुए काम कर रहा है।

पराली से होने वाले प्रदूषण को लेकर भी केंद्र सरकार ने अच्छी पहल की है। इससे प्रदूषण न हो, इसके उपाय निकाले जा रहे हैं। सरकार ऐसी मशीन लेकर आई है जो पराली के छोटे-छोटे टुकड़े करके मिट्टी में मिला देती है। इससे बिल्कुल भी प्रदूषण नहीं होता। इसके अलावा अधिक प्रदूषण वाले 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल चालित वाहनों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। और तो और, दिल्ली सरकार ने इस साल 4 नवम्बर से 18 नवम्बर तक वाहनों से होनेवाले प्रदूषण रोकने के लिए ऑड-ईवन स्कीम के तहत सीएनजी वाहनों को भी प्रतिबंधित करने का फैसला किया है। मामला यह है कि इन दिनों प्रदूषण की वजह से बहुत परेशानी होती है। हम बचपन से ही सर्दी या गर्मी की छुट्टियां बिताते आए हैं लेकिन हमारी नई पीढ़ी को इन दोनों मौसम के अलावा प्रदूषण के दिनों की छुट्टियां भी मिलने लगी है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। पिछले कुछ वर्षों में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ा है कि लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ रहा है। इसके दुष्प्रभाव लगातार सामने आ रहे हैं। अस्थमा के मरीजों व बच्चों के लिए यह मौसम बहुत खतरनाक होता है।

इसके बावजूद दुर्भाग्य है कि कुछ लोग पटाखे न जलाने या कम चलाने को अपने धर्म पर अटैक समझते हैं। सोशल मीडिया पर मैसेज ट्रेंड हो रहा है कि अन्य धर्मों के लोगों को हर तरह की छूट दी जाती है तो हम हिन्दू अपना त्यौहार खुलकर क्यों न मनाएं? ऐसे मामलों में किसी के भड़कावे में नहीं आना चाहिए, क्योंकि इसका नुकसान स्वयं का है। यदि हम बदलते परिवेश में खुद को नहीं बदलेंगे तो हम अपने लिए और अपनी नई पीढ़ी के साथ बहुत नाइंसाफी करेंगे। यह बात स्वयं मंथन करने की है कि यदि हम पटाखे नहीं छोड़ेंगे या कम चलाएंगे तो इस बात से हमारी कौन-सी आस्था कम हो जाएगी? यदि हम बदलाव की ओर नहीं चलेंगे तो हम कैसे जीत पाएंगे? स्थिति भयावह दिख रही है फिर भी हम सुधरने को तैयार नहीं। महानगरों में भी पहले मनुष्य का जीवन लगभग सौ वर्ष का होता था लेकिन आज वो प्रकृति का हनन करते-करते केवल साठ वर्ष की आयु पर ही सीमित रह गया। हमने शहरीकरण को अपनाते हुए सुविधाओं का इतना आदी बना लिया की हमारा भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है। यह जहर हमारे जीवन में इस स्तर तक घुल जाएगा हमने कभी सोचा ही नहीं था। जरूरी नहीं कि हम हर काम शासन-प्रशासन के डर से ही करें।

आज हमारी आस्था लाखों के पटाखे छोड़ने पर अटकती है तो शायद हमें उन चेहरों को भी याद करना चाहिए जिन लोगों के घर में आज भी दोनों शाम का भोजन नहीं है। जाहिर है उनमें भी अपना त्यौहार मनाने की कसक होगी। यदि अपनी आस्था की प्रमाणिकता देनी है तो जितने के आप पटाखे जलाकर अपना धर्म निभाना चाहते हैं, मात्र उतने पैसों के दस प्रतिशत हिस्से से किसी गरीब को खाना खिला देंगे तो यकीन मानिए आपको पटाखे चलाने से ज्यादा सूकून मिलेगा। प्रदूषण के डर से दिल्ली-एनसीआर के लोग बाहर जाने लगे क्योंकि डॉक्टरों के अनुसार के पटाखों के प्रदूषण से बड़े स्तर की बीमारियां होने लगी हैं। पटाखों में बेहद खतरनाक रसायनों का प्रयोग किया जाता है। उनको जलाने से जो प्रदूषण फैलता है उससे इंसान का आंतरिक सिस्टम बुरी तरह प्रभावित होता है। इसलिए हमें ग्रीन पटाखे पर सरकार की मुहिम से जुड़ना चाहिए और इसका समर्थन करना चाहिए।

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