झारखंड में तीन माह में होगा हिंदी भवन का शिलान्यास : मुख्यमंत्री

रांची। झारखंड में तीन माह के अंदर हिंदी भवन का शिलान्यास होगा। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शनिवार को हिंदी दिवस पर आयोजित समारोह में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि देश भर से झारखंड आने वाले साहित्यकारों, रचनाकारों और कवियों को बातचीत, आयोजन व अन्य गतिविधियों के लिए एक उचित परिसर देना सरकार का उद्देश्य है। उन्होंने राजभाषा विभाग को अगले वर्ष से हिंदी दिवस का आयोजन संध्या बेला में मोरहाबादी मैदान में करने को कहा,  जहां लोग कवि सम्मेलन का आनंद लें और युवा कवियों को सरकार एक मंच देने में सफल हो सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वभाषा के माध्यम से भारत विश्वगुरु बन सकता है। स्वभाषा विकास का परिचायक है। यह भारत के स्वाभिमानी भारत बनने के मार्ग को प्रशस्त करेगा। कोई भी विकसित राष्ट्र के आगे बढ़ने का सबसे बड़ा कारण स्वभाषा है। उन्होंने कहा कि वह यह नहीं कहते कि अन्य भाषा का उपयोग न करें, सभी भाषा का सम्मान किया जाना चाहिए। यही वजह है कि राज्य सरकार ने संथाली, बंगला, मुंडारी, हो, खड़िया, कुरमाली, नागपुरी, पंचपरगनिया, उड़िया, मगही, भोजपुरी, मैथली आंगिक और भूमिज को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया है। 

दास ने कहा कि वैश्वीकरण के बाद शिक्षा और स्वास्थ्य का बाजारीकरण हुआ, जिससे अंग्रेजी भाषा का प्रचलन बढ़ा। यह स्वाभाविक भी था कि इस समय सरकारी स्कूलों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। राज्य सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभागों से निर्गत होने वाले आदेश, परिपत्र या आदेश अगर अंग्रेजी भाषा में हो तो उसके हिंदी अनुवाद के लिए अनुवादक को संविदा या कार्य के आधार पर नियुक्त कर मानदेय दें, ताकि आम लोगों तक हिंदी में भी विभाग द्वारा निर्गत पत्र या आदेश पहुंच सके। ऐसे राज्य सरकार भरसक सभी ऐसे कार्य हिंदी के माध्यम से कर रही है लेकिन जहां जरूरत हो इसे लागू करें।

राजभाषा विभाग के सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा कि हिंदी सहज और सरल भाषा है। हिंदी विश्व की तीसरी बोले जाने वाली भाषा है। आज हिंदी का प्रचलन विश्व में बढ़ता जा रहा है। देश में 43 प्रतिशत लोग यानी करीब 53 करोड़ लोग हिंदी का उपयोग करते हैं।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. माया प्रसाद ने कहा कि हम आज हिंदी को संयोजित करने के लिए उपस्थित हुए हैं। यह वह भाषा है, जो देश को एक सूत्र में बांधे रखी है। विश्व के 143 विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाई जा रही है। यह हमारे पुरखों की विरासत है। राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश के शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है। हिंदी हमारे राष्ट्र के अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत भी है।

डॉ हरेराम त्रिपाठी ‘चेतन ‘ ने कहा कि राजभाषा आज कार्यालयों में सक्रिय है। विश्व स्तर पर हिंदी का फैलाव हो रहा है। हिंदी की नवीन ग्रन्थों की मांग आज विदेशों में है, लेकिन हमारे यहां हिंदी की क्या स्थिति है, उसका आकलन होना चाहिए। 

मौके पर मुख्यमंत्री ने हिंदी दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित लघु कथा लेखन प्रतियोगिता के तहत रोशनी कुमारी, हर्षिनी शंकर और सेजल तिवारी को प्रथम, सृष्टि कुमारी, आराधना दुबे, मानस दीप्त को द्वितीय एवं मेघा कुमारी, आकृति सोरेंग एवं आर्य झा को तृतीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने निबंध लेखन प्रतियोगिता में अजय कुजूर को प्रथम, धनंजय कुमार मिश्र को द्वितीय एवं दिलीप कुमार कर्ण को तृतीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

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