आचार संहिता उल्लंघन के दो अलग-अलग मामलों में पूर्व सीएम हेमंत सोरेन बरी

दुमका। विधानसभा चुनाव 2014 के दौरान आदर्श चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के दो अलग-अलग मामलों में सीजेएम देवाशीष महापात्रा के न्यायालय ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री सह झामुमो कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को बरी कर दिया। हेमंत सोरेन के अधिवक्ता धर्मेंद्र नारायण ने बताया कि दोनों मामला 27 नवम्बर 2014 का है। जिसको लेकर 28 नवंबर 2014 को नगर थाना में दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज हुई थी। पहले मामले में हेमंत सोरेन का नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान अनुमंडल पदाधिकारी सह निर्वाची पदाधिकारी सुधीर कुमार के कक्ष में पांच से अधिक समर्थकों के साथ पहुंचने को आचार संहिता का उल्लंघन माना गया। पांच व्यक्ति ही नामांकन के समय प्रत्याशी के साथ जा सकते हैं। हेमंत सोरेन उस समय राज्य के मुख्यमंत्री थे। तत्कालीन एसडीओ सुधीर कुमार ने अपने पत्रांक 38, 28 नवंबर 2014 को झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के खिलाफ दुमका नगर थाना में आईपीसी की धारा 143, 188 और 126 आरपी एक्ट 1951 के अंतर्गत आदर्श चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का कांड संख्या 295/2014 दर्ज कराया था। उसी दिन नामांकन दाखिल करने के बाद हेमंत सोरेन ने खिजुरिया स्थित अपने आवास में एक जनसभा की थी। जिसमें कथित रूप से उनका आपत्तिजनक बयान आया था। जिसके बाद उनके खिलाफ बिना अनुमति के जनसभा करने के आरोप में मामला दर्ज करवाया था। बिना अनुमति के खिजुरिया में आमसभा को संबोधित कर रहे थे। इसे भी आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। उन्होंने दुमका के अलावा बरहेट से भी चुनाव लड़ा था। 27 नवंबर 2014 को दुमका विस सीट से नामांकन दाखिल की थी। एसडीओ सुधीर कुमार के ज्ञापांक 35 दिनांक 28नवंबर 2014 के आलोक में खिजुरिया में बिना अनुमति के सभा करने के मामले में नगर थाना कांड संख्या 294/14 के तहत आईपीसी की धारा 143, 188 और 126 आरपी एक्ट 1951 के अंतर्गत हेमंत सोरेन के खिलाफ कांड संख्या 294/2014 दर्ज किया गया था। इन दोनों मामलों में छह-छह गवाहों ने गवाही दी है। दिन के करीब ढाई बजे हेमंत सोरेन सोरेन न्यायालय में उपस्थित हुए। सीजेएम ने उनका नाम पूछने के बाद उन्हें दोनों मामलों में बरी किये जाने का निर्णय सुनाया।

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