फिनलैंड: उत्तरी ध्रुव की दहलीज

आकाश में सूर्योदय और सूर्यास्त के रंग एक समान घुलते देखने की उत्कंठा ने इस बार उत्तरी ध्रुव की देहरी पर पहुंचा दिया। जानकर हैरत होगी कि इस देश में 187,888 झीलें हैं। तीन चैथाई भूमि तो घने जंगलों से पटी है। भीषण सरदी के इस देश में धरती दो महीने तो हिमाच्छादित ही रहती है। तब आसमान में सूरज का नामोनिशान नहीं रहता, दिन भी तब घनघोर अंधियारी रातों से होते हैं। इन दिनों नार्दन लाइट्स का अद्भुत नजारा देखने दुनिया भर के सैलानी यहां जुटते हैं। हरी-नीली रोशनी के रेशे पाइन, बिर्च और फर के पेड़ों से होकर धरती पर ऐसे झरते हैं जैसे संगीत के सुर बज रहे हों। अत्यंत शांत, सुसंस्कृत और शालीन फिनलैंड वासियों की जीवन शैली न तो शीत ऋतु के अंधकार से प्रभावित होती है और न ही हाड़ कंपाती ठंड से। निरंतर सक्रिय रहने वाले फिनिश (फिनलैंड निवासी) प्रकृति की विशुद्धता के भी प्रहरी हैं साथ ही आधुनिक विज्ञान और तकनीकी कौशल से सम्पन्न भी। इसीलिए तो फिनलैंड को पर्यावरणीय शुद्धता की कसौटी पर विश्व में अग्रणी देश माना जाता है। दुनिया के सबसे ईमानदार और भ्रष्टाचार मुक्त देश के खिताब से नवाजे गए इस देश के लोग वास्तुशिल्प, डिजाइनिंग और कला के क्षेत्र में धुरंधर माने जाते हैं। कुल 5 से 6 करोड़ की आबादी वाले इस देश में शहर कम हैं पर जो हैं वे जीवन शैली, सुव्यवस्था और सुशासन की दृष्टि से बेमिसाल है।

परंपरा व आधुनिकता

बाल्टिक सागर के तट पर बसी राजधानी हेलसिंकी देश का सबसे बड़ा नगर है। विशाल उद्योग, विराट बंदरगाह और पुराने भव्य शिल्पों से भरे हेलसिंकी का चप्पा-चप्पा परंपरा की धरोहरों के साथ आधुनिकता से भी स्पंदित है। संपन्नता का आलम यह कि शहर में कम से कम 92 फीसदी घरों में मोबाइल फोन है। हर परिवार इंटरनेट कनेक्शन से लैस है। सेलफोन के सरताज नोकिया फोन की जन्मस्थली रहे हेलसिंकी के बच्चे मोबाइल के ही दीवाने हैं। अमूमन सात बरस की उम्र तक पहुंचते ही वे अपने व्यक्तिगत मोबाइल के मालिक हो जाते हैं। जैसे जुमले भी यहां की देन है, यानी यहां हर कामकाजी पालक अपने बच्चों की परवरिश मोबाइल के माध्यम से करने में सुहूलियत मानते हैं। उच्चस्तरीय शोध संस्थानों, विश्वविद्यालयों और उद्योगों ने भी तकनीकी क्षेत्र में फिनलैंड को शिखर पर पहुंचा दिया है। डाक्टर ऑफ बाल्टिक के नाम से चर्चित फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी की बसाहट 1819 में हुई। ये वे दिन थे जब फिनलैंड रूस के अधीन था और तब रूसी जार निकोलस प्रथम के आदेश पर जर्मन वास्तुशिल्पी कार्ल एंजल लुडविंग ने हेलंसिकी को बसाने की जिम्मेदारी उठाई। निकोलस की कल्पना का क्रियान्वयन करते हुए लुडविंग ने शहर को भव्य इमारतों, चैक-चैराहों और शिल्पों से सजा डाला। बार-बार की आगजनी, भीषण महामारियों और विध्वंसकारी युद्धों के थपेड़े झेलकर भी हेलसिंकी ने अपने गौरव को सुरक्षित रखा है। तीन सौ पंद्रह द्वीपों से बना यह शहर वास्तव में समुद्र का ही शहर है। इसीलिए तो सप्ताहान्त के अवकाश पर फिनिश लोग अपने परिवार के साथ समुद्र तटों पर एकत्रित होकर घरों के कालीन धोने सुखाने के क्रम को पार्टी के तौर पर आयोजित करते हैं।  यहां सड़कें खाड़ियों के सहारे मुड़ती हैं, पुल द्वीपों को जोड़ते हैं, फैरीज (नावें) ट्रैफिक का जरिया हैं। फिनिश कट्टर राष्ट्रभक्त होते हैं। इसलिए फिनलैंड के राष्ट्रगीत के रचयिता जान लुडविग रुनबर्ग के जन्मदिन 5 मई को वे राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं।

बेजोड़ शिल्प

पूर्वी छोर पर हेलसिंकी की प्रतीक सागरकथा की मूर्ति स्थित है, लुडविंग एंजिल के शिल्प यहां के कला कौशल के परिचायक है। शिल्प के क्षेत्र में हेलसिंकी निस्संदेह वास्तुविदों की प्रयोगशाला है। यहां की एक-एक इमारत किसी न किसी शिल्पी का ऐसा हस्ताक्षर है जैसे किसी साहित्यकार की अमरकृति संरक्षित हो। यहां के रेलवे स्टेशन को ही ले लीजिए, सन् 1914 में सारीनेन के द्वारा परिकल्पित स्टेशन की तांबे मढ़ी छत और प्रवेश द्वार पर चार मशाल वाहक विराट मूर्तियां, 160 फीट ऊंचे घंटाघर के साथ नगर की गौरवगाथा सुनाती हैं। मुख्य डाकघर अमेरिकी शिल्पकार हॉल की कृति है। फिनलैंड के प्रख्यात शिल्पकार अल्वार आल्टो और उनकी पत्नी आइनो आल्टो ने तो अपनी कल्पनाशीलता के दम पर हेलसिंकी को दुल्हन सा संवार दिया है। राजनीतिक सरगर्मियों का केंद्र फिनलैंड हाउस, राष्ट्रीय संग्रहालय, विश्वविद्यालय भवन, खेल परिसर, विश्वविद्यालय क्वार्ट्ज आदि आल्टो दम्पति की अद्भुत रचनात्मकता की देन हैं। स्टीवेन हॉल की ज्यामितिक संरचना पर्यटकों को खास तौर से आकर्षित करती है, जिसमें जस्ते और टाइटेनियम की तिरछी छतें खिड़की और द्वार विहीन गोलाकार दीवालें, काला स्याह फर्श और झकाझक उजली दीवारों की सफेदी अगली सदी की स्थापत्य कला की छवि पेश करती हैं। सैडेंड कांच के जरिये यहां प्रिज्म जैसी सतह कलाकृतियों के प्रदर्शन के लिए हासिल की गई है और श्वेत श्याम रंगों के संयोजन से प्रस्तुतीकरण के लिए वांछित ढेर सारा प्रकाश भी। वास्तु की दृष्टि से ऐसा ही अजूबा सेमुलिनिन बंधुओं का बनाया अंडरग्राउंड चर्च किर्कू है। ऊपर से देखेंगे तो केवल जमीन में धंसी इमारत का गुम्बद भर दिखेगा। लेकिन ग्रेनाइट की चट्टानों को काटकर बनाए गए फिनलैंड के प्रख्यात संगीतज्ञ जीन सिबलिज की स्मृति में निर्मित विराट वंशीवट को देखकर तो आप हैरत में रह जाएंगे जिसमें 3000 से ज्यादा धातु नलिकाओं को परस्पर भांति-भांति से जोड़कर विशाल वाद्य यंत्र शिल्प की सर्जना की गई है। मीलों तक फैले उद्यान के कोने में चट्टान पर बना यह शिल्प प्राकृतिक परिवेश को समर्पित उस संगीतज्ञ का वास्तविक स्मारक है जिनकी धुनें फिनलैंड को समर्पित थीं। डिजाइनिंग के मामले में तो फिनिश लोगों का दुनिया भर में सानी नहीं है। हेलसिंकी के बाजार कांच और लकड़ी से निर्मित पात्रों, साज सज्जा की नयनाभिराम वस्तुओं, फर्नीचरों और फैशनेबल कपड़ों से पटे हुए हैं। अल्वार आल्टो के डिजाइन किए गए। सेवोयवेस नामक कांच के पात्र को तो फिनिश लोग देश का गौरव मानते है। अठारहवीं उन्नीसवीं सदी की पानी की टोंटियां, टेलीफोन बूथ और पथरीली गलियां आज भी यहां जस की तस बनी हैं। लकड़ी की प्रचुरता और ठिठुराती सर्दियों में रोशनी के माध्यम रहे पारदर्शी कांच इसीलिए फिनलैंड वासियों की कलाप्रियता के चलते आकार पाते रहे। आल्टो दम्पत्ति द्वारा 1793 में स्थापित ग्लास डिजाइनिंग फैक्टरी और 1873 में स्थापित सिरैमिक डिजाइनिंग फैक्टरी का अब तक चलते रहना फिनलैंड वासियों की उत्कृष्ट जिजीविषा, पारंपरिक डिजाइनों के प्रति आसक्ति और अपनी संस्कृति को सहेजने की अभिलाषा को दर्शाता है।

लकड़ियों की इमारतें

लकड़ी की इमारतों के निर्माण की सदियों पुरानी परंपरा यहां आज भी जिंदा है। काष्ठ गृहों का संग्रहालय सन् 1909 में बनाया गया था। यहां 15 हेक्टेयर जमीन में फिनलैंड के कोने-कोने में बनने वाले देहाती काष्ठ घरों को प्रदर्शित किया गया है। लेकिन लकड़ी के असल नए-पुराने घरों का नजारा करने के लिए पोर्वो से बेहतर कोई जगह नहीं। हाइवे ई 18 पर स्थित पोर्वो और हेलसिंकी के बीच केवल आधे घंटे का फासला है। सड़क मार्ग पर बहुत दूर नजर दौड़ाने पर छितराये हुए घर दिखेंगे। मीलों तक फैले खेत खलिहान, वनों की अपार श्रृंखला के बीच नए-पुराने काष्ठघरों की कतारें देखी जा सकेगी। रास्ते भर खालिस फिनिश देहाती संस्कृति के दीदार होंगे सो अलग। पोर्वो पहुंचकर पथरीली गलियों से गुजरकर 13वीं व 14वीं सदी के संरक्षित मकानों की कतारें मन मोह लेती हैं। पचास हजार की आबादी में दर्जन भर कला वीथिकाओं, संग्रहालयों, 140 स्पोर्ट्स क्लबों वाला यह कस्बा फिनलैंड के राष्ट्रीय कवि रूनबर्ग की जन्मस्थली और कर्मस्थली भी रहा है। उनकी रचनाओं और उनके पुत्र शिल्पकार वाल्टर रूनबर्ग की कृतियों को संजोये उनके पैतृक निवास को भी पोर्वोवासियों ने दर्शनीय स्थल बना लिया है। यहां आज भी नदी किनारे बने डेढ़ मंजिलें ढाई सौ काष्ठ के पुराने मकान फिनलैंड की परंपरागत भवन निर्माण कला के जीवंत प्रमाण हैं। ढलवां छतों वाले लाल रंग से पुते (समुद्री हवा और धूप से बचाने के लिए) इन मकानों में कॉफी और तंबाकू के पुराने गोदाम भी हैं। लकड़ी के पुल, लकड़ी के चर्च और लकड़ी की इमारतों को संरक्षित कर ये लोग काष्ठकला को पुनर्जीवित करने के हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।

खेलों से प्रेम

हेलसिंकी की एक और विशेषता है यहां के निवासियों का अगाध खेल प्रेम। अपने भव्य ओलंपिक क्षेत्र को फिनिश किसी तीर्थ से कमतर दर्जा नहीं देते। इस ओलंपिक क्षेत्र में विविध खेलों की व्यवस्था है। फुटबाल स्टेडियम में बना 72 मीटर ऊंचा टॉवर 1940 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी के समय तैयार किया गया था। युद्ध छिड़ा और ओलंपिक तब भले ही न हो सके पर युद्ध के बाद 1952 में होने वाले पहले खेल महाकुंभ की मेजबानी फिनलैंड ने उसी शानो-शौकत से की। ओलंपिक खेलों के स्वर्ण पदक विजेता धावक पावों नूरमी की शानदार मूर्ति को वे राष्ट्र नायक सी श्रद्धा देते हैं।

मौसम के रंग

पहली मई को फिनलैंड में बर्फ पिघलने के साथ ही बसंत का आगमन हो जाता है। इसे फिनिश उत्सव के तौर पर मनाते हैं। सारे देश में रंग-बिरंगे मेले होते हैं महीने भर बाद पहली जून से गर्मियों की आहट होने लगती है तो ठिठुराई देहों को उष्मा का आनंद देने के लिए फिनिश समर कॉटेजों में डेरा डाल लेते हैं। जुलाई बीतते-बीतते गर्मियां बीत जाती है और अगस्त-सितंबर हार्वेस्ट सीजन के तौर पर आ जाते है। नवंबर में कड़ाकेदार सर्दी के बावजूद धु्रवीय जलवायु का सानिध्य पाने को लालायित साहसी सैलानियों की कमी नहीं रहती।

खुद में मस्त

सामान्यतः फिनिश बेहद अंतर्मुखी होते हैं। न वे किसी और के परिवेश में दखलंदाजी करते हैं और न ही खुद के स्पेस में किसी तरह की घुसपैठ पसंद करते हैं। हेलसिंकी के भारतीय रेस्तरां संदीप के मालिक के मुताबिक फिनिश दंपति रेस्तरां में साथ खाने के उपरांत बिल की अदायगी भी अलग-अलग करते हैं। आप किसी राहगीर से पता पूछे और वह आपकी बात सुनी-अनुसुनी कर अपनी राह निकल ले तो इसे अपनी उपेक्षा न मानें, यह फिनिश लोगों का स्वभाव है। यहां अन्य जगहों की तरह चप्पे-चप्पे पर पुलिसवालों की गश्त नहीं दिखाई देगी लेकिन इससे यह न समझ लें कि फिनलैंड में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।

सांताक्लाज का देश

फिनलैंड के उत्तरी भाग में स्थित लेपलैंड सांताक्लाज का घर माना जाता है। यहां चार सौ बरस से सांताक्लाज का दफ्तर बाकायदा चलता है। इसके पते पर डाक दुनिया भर से आती है और लाल वस्त्र धारी दढ़ियल सांताक्लाज हर खत का जवाब भी देते हैं। यहां की बर्फीली जमीनों पर भले ही सांताक्लाज की रेनडियर जुड़ी गाड़ी अब न फिसलती हो पर लेपलैंड के जंगलों में आज भी हजारों रेनडीयर्स कुलांचें भरते नजर आ जाते हैं। इस क्षेत्र में रह रहे पांच हजार सामी आदिवासी रेनडीयर्स की अस्थियों और जंगल की लकड़ियों से बहुविध चीजें बनाने में कुशल हैं। सर्दियों में लेपलैंड जाएंगे तो रेनडियर्स के झुंडों और नार्दन लाइट्स की मुलायम रोशनी का नजारा ले सकेंगे और यदि आपका चक्कर गर्मियों में लगे तो भी चैबीस घंटों चमकती धूप और सूरज की रोशनी का अद्भुत नजारा आपको चमत्कृत कर देगा। वहीं फिनलैंड के दक्षिणी पूर्वी भाग में स्थित लेपलैंड तो जंगलों, झीलों और द्वीपों की ऐसी रमणीक छटाओं से भरा है कि सदियों तक स्वीडन और रूस के बीच यह विवाद की जड़ बना रहा।

खानपान

सागर तट पर होने के कारण यहां सैकड़ों प्रजातियों की मछलियों से बने व्यंजन प्रचलित हैं। बेरियों और मशरूम के पच्चीसों तरह के सूप, सलाद और जैम भी यहां के लोग चटखारे लेकर खाते हैं। पतझर की ऋतु में तो हेलसिंकी की सड़कें पकी रसदार बेरीज से सुर्ख हो उठती हैं। जून में स्ट्राबेरी का मौसम होता है। गर्मियों में ब्लैकबेरी और क्लाउडबेरीज सितंबर में जंगल लिगोंबेरीज से लद जाते है तो दलदली इलाके क्रेनबेरीज की फसल से लहलहाते हैं। घनघोर सर्दी वाले इस क्षेत्र में गर्मियों में बीन, मटर, खीरे, टमाटर, आलू भी बहुतायत में होते हैं। फिनिश भोजन (मांसाहार) में मछलियों के अलावा रेनडियर का गोश्त शुमार होता है। पैनकेक इनका पसंदीदा भोजन है। क्लाउड बेरीज का बना लक्का इनकी प्रिय डेजर्ट (मिठाई) है। फिनलैंड में सूरज की धूप में पकी बेरीज से बनी आइसक्रीमों और सोसेजेज के दीवाने बहुत है।

कैसे जाएं

फिनलैंड जाने के लिए यूरोप जाने वाली लगभग सभी एअरलाइंस में टिकट आसानी से मिल जाते हैं यहां आने-जाने में किराया करीब 33000 रुपये पड़ता है। नई एअर लाईन फिन एअर में किफायती दरों पर टिकट मिल जाते हैं। हेलसिंकी में रुकने के लिए 5000 रुपये से 10,000 रुपये प्रतिदिन तक के बेहद आरामदायक होटल मिल जाते हैं। लेकिन कम बजट वालों के लिए भी यहां पर्याप्त इंतजाम हैं। शहर में घूमने के लिए साइकिलों की सवारी की जा सकती है। हेलसिंकी में 26 बाइक स्टैंड है जिनसे 2 यूरो में साइकिलें किराये पर मिल जाती हैं इसके अलावा हरी और पीली ट्रामें भी 2 यूरो के खर्चे पर पर्यटक स्थलों तक ले जाती हैं।

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