दुमकाः झामुमो के शिबू सोरेन व भाजपा के सुनील के बीच रोमांचक मुकाबले की उम्मीद

दुमका । झारखंड की दुमका लोकसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच रोमांचक मुकाबला होने की उम्मीद हैं। दोनों दलों के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट बन गयी है। झामुमो के कार्यकर्ताओं ने लगभग चालीस वर्षों से इस सीट पर एकछत्र कब्जा कायम रखनेवाले 75 वर्षीय दिसोम गुरू शिबू सोरेन की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं भाजपा कार्यकर्ता इसबार मैदान मारने के लिए जी-जान से जुटे हैं।

दोनों दलों के उम्मीदवार व कार्यकर्ता शहरी और ग्रामीण इलाकों में जनसम्पर्क अभियान पर अधिक जोर दे रहे हैं। अधिक उम्र होने के कारण झामुमो के सिरमौर शिबू सोरेन इस लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले दुमका, जामा, शिकारीपाड़ा, जामताड़ा, नाला और सारठ विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख स्थानों पर आयोजित सभाओं में शिरकत कर रहे हैं। 

जबकि पिछले दो लोकसभा चुनावों में पराजित हो चुके भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन हर दिन विभिन्न गांवों में सघन जनसम्पर्क कर रहे हैं। 12 मई को छठें चरण का मतदान सम्पन्न होने के बाद से मुख्यमंत्री रघुवर दास संताल परगना में चुनाव प्रचार की कमान स्वयं संभालने पहुंच गये हैं। शनिवार को आदिवासी बहुल शिकारीपाड़ा में पूर्व से आयोजित चुनावी सभा में भाजपा की स्टार प्रचारक और केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के नहीं पहुंचने से कार्यकर्ता उदास हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर ही भरोसा है। ऐसे में मामूली मतों के अंतर से पिछले दो चुनावों में पराजित हो चुके भाजपा प्रत्याशी झामुमो के चुनावी रणनीति को बेधने में कितना सफल होंगे, यह समय बतायेगा। 

मुख्यमंत्री रघुवर दास चुनाव के पूर्व से संताल परगना के सभी तीनों लोकसभाई सीटों पर पार्टी की जीत दर्ज कराने के लिए झामुमो पर हमला बोल रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री दास की बातों का इस क्षेत्र की जनता पर कितना असर पड़ेगा, इसका खुलासा तो परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा। 

प्रचंड गर्मी में इस क्षेत्र की दो प्रमुख नदियां मयूराक्षी और अजय सहित अन्य छोटी बड़ी नदी-नाले सूख चुके हैं। हाल के वर्षों में इस इलाके में पहाड़ों को तोड़ने और वनों के उजड़ने से पूरा इलाका वीरान दिखता है। आमजन चुनावी शोरगुल से अलग-थलग हैं। झामुमो का वोट बैंक समझा जानेवाले भारी तादाद में आदिवासी समाज के लोग रोजगार की तालाश में धान काटने पश्चिम बंगाल चले गये हैं, जिससे गांवों में वीरानगी छायी है। झामुमो अपने वोटरों को पश्चिम बंगाल से वापस लाने के लिए अपने कार्यकर्ता दूतों के उनके ठिकाने पर भेजने की रणनीति में जुट गया है। रोजगार की तालाश में बाहर गये मजदूर अगर मतदान के लिए वापस आते हैं तो इस सीट से झामुमो के सिरमौर को हराना आसान नहीं होगा। 

इसबार 19 मई को दुमका लोकसभा क्षेत्र के 13 लाख 65 हजार 256 मतदाता 1891 मतदान केन्द्रों पर अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। दुमका लोकसभा क्षेत्र से इसबार15 प्रत्याशी चुनावी किस्मत आजमा रहे है लेकिन मुख्य मुकाबला झामुमो और भाजपा के बीच होने के आसार हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं का दावा है कि पिछले पांच साल में दुमका के सर्वांगीण विकास की दिशा में रेल परियोजनाओं को पूरा करने के साथ मेडिकल काॅलेज की स्थापना, मयूराक्षी नदी पर राज्य के सबसे बड़े पुल निर्माण कार्य को जमीन पर उतारने, केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना, कई सड़कों का निर्माण आदि कई उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं। वहीं पिछले आठ चुनावों में इस क्षेत्र से निर्वाचित होनेवाले सांसद शिबू सोरेन द्वारा संसद में क्षेत्र की समस्याओं पर आवाज नहीं उठाने के कारण इसबार जनता परिवर्तन के मूड में है। उनका दावा है कि भाजपा इससे मुख्य मुद्धे बनाकर जनता के बीच जा रही है। भाजपा के इस मुद्धे को जनता का भी समर्थन भी मिल रहा है। 

वहीं, झामुमो कार्यकर्ताओं का दावा है कि झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की पहचान संताल परगना सहित पूरे झारखंड में शोषित, पीड़ित, दलित, आदिवासियों के हक और अधिकार की लड़ाई की बदौलत अलग पहचान है। सभी वर्गों के लोग आज भी शिबू सोरेन को अपना मसीहा मानते हैं। झामुमो कार्यकर्ताओं का दावा है शिबू सोरेन के लगभग 50 वर्ष के लम्बे संघर्षपूर्ण जीवन की बजह से पूरे देश में दुमका की अलग-अलग पहचान है। ऐसे में आम जनता में लोकप्रिय शिबू सोरेन को पराजित करने का भाजपा का मंसूबा सफल नहीं होगा। 

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