लंदन। एक ताजा अध्ययन में दावा किया गया है कि अगर रोजाना योगर्ट यानी दही को डाइट में शामिल किया जाए तो हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। ये स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मेन के वैज्ञानिकों ने साझा तौर पर की है।इसमें दही के सेवन का ब्लड प्रेशर और हार्ट से संबंधित रिस्क फैक्टर्स पर इफेक्ट की जांच की गई, जिसमें रिसर्चर्स ने पाया है कि योगर्ट का रोजाना सेवन हाई बीपी वाले लोगों के बीपी को कम करने में मददगार है।
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रिसर्चर्स के अनुसार, पूरे विश्व में एक अरब से ज्यादा लोग हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं, जिससे उन्हें हार्ट से संबंधित समस्याएं यानी सीवीडी जैसे, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का अधिक खतरा होता है।सीवीडी दुनिया भर में मौत का प्रमुख कारण है।इस वजह से अमेरिका में हर 36 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत सीवीडी से होती है।ऑस्ट्रेलिया में यह हर 12 मिनट की है।रिसर्चर डॉ एलेक्जेंड्रा वेड ने बताया, ‘इस स्टडी ने नए सबूत प्रदान किए हैं कि हाई बीपी वाले लोगों के बीपी कंट्रोल के लिए योगर्ट /दही मददगार साबित हो सकता है।
हाई बीपी कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के लिए सबसे अहम रिस्क फैक्टर है, इसलिए ये जरूरी है कि हम इसे कम करने और कंट्रोल करने के तरीके ढूंढते रहें।’ डॉ एलेक्जेंड्रा वेड ने आगे बताया, ‘डेयरी फूड, खास तौर पर योगर्ट (दही) बीपी को कम करने में सक्षम हो सकता है।ऐसा इसलिए है क्योंकि डेयरी फूड प्रोडक्ट्स में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम सहित कई सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं, जो बीपी को कंट्रोल करने में मददगार साबित हो सकते हैं।उन्होंने कहा कि दही इसलिए अधिक कारगर है क्योंकि इसमें बैक्टीरिया भी होते हैं, जो ब्ल्ड प्रेशर को कम करते हैं।’ रिसर्चर्स ने इस स्टडी में 915 लोगों को शामिल किया।स्टडी में ये सामने आया कि जो लोग नियमित रूप से योगर्ट /दही का सेवन करते थे, उनका ब्लड प्रेशर योगर्ट का सेवन नहीं करने वालों की तुलना में लगभग 7 अंक कम था।रिसरर्चर्स ने बताया कि रिस्क फैक्टर्स वाले लोगों पर योगर्ट (दही) के संभावित लाभों की जांच के लिए भविष्य में और स्टडी की जरूरत है।
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बता दें कि आजकल के तनाव भरे लाइफस्टाइल में हाई ब्लड प्रेशर एक आम समस्या के रूप में लाइफ का हिस्सा बन चुकी है।अगर हम भारत की ही बात करें तो साल 2020 में लगभग 15 फीसदी लोगों में हाई बीपी होने के बारे में पता चला।एक रिपोर्ट की मानें तो पिछले 4 सालों में हाई बीपी के मरीजों में लगातार वृद्धि हुई है।इस दौरान ही करीब 35 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उनके परिवार में ये बीमारी चली आ रही है।
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