झारखंड के दुर्गापुर गांव में नहीं खेलते होली, इस दिन रंग को मानते हैं अपशकुन

बोकारो
झारखंड के बोकारो जिले के कसमार प्रखंड के दुर्गापुर गांव में लोग होली नहीं मनाते हैं। बताया जाता है कि होली के दिन राजा-रानी की मौत हो गई थी। इसी के शोक में ग्रामीण होली का त्योहार नहीं मनाते हैं और होली के रंग को अपशकुन मानते हैं। दुर्गा पहाड़ी के ईद-गिर्द बसे आदिवासी, अल्पसंख्यक और महतो बहुल दुर्गापुर गांव के लगभग एक दर्जन टोले के करीब 10 हजार की आबादी का 300 साल बाद भी अपने राजा के प्रति अपार श्रद्धा है या दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो अंधविश्वास के कारण इन गांवों के लोग अब भी होली नहीं मनाते हैं।
दुर्गापुर राजस्व गांव के कुनाडीह, कारूजारा, ललमटिया, कमारडीह, चउेरिया, बुटीटांड़, परसाटांड़, हरलाडीह, तिलतरिया, कुसमाटांड़, बरवाटोला और मेढ़ा के लोग होली नहीं खेलते है। पिछले 300 सालों में कई बार इन गांवों में होली खेलने की कोशिश भी हुई, लेकिन अपशकुन के कारण इन टोलों के लोग आज भी होली से दूर रहते हैं।
इलाके में प्रचलित है ये किवदंती
इलाके में प्रचलित किवदंती और बुजुर्ग ग्रामीण अपने पूर्वजों से मिली जानकारी के आधार पर बताते है कि 1724 में होली के एक दिन पहले रामगढ़ राजा दलेल सिंह के सेनापति पश्चिम बंगाल के झालदा से रानी के लिए साड़ी और जेवर समेत अन्य श्रृंगार सामग्री खरीद कर दुर्गापुर के रास्ते से गुजर रहे थे। उसी दौरान दुर्गापुर के राजा दुर्गा प्रसाद देव की सेना ने शक के आधार पर उन्हें बंदी बना लिया था। इस बात से क्षुब्ध होकर रामगढ़ राजा ने अपनी सेना के साथ होली के दिन दुर्गापुर में चढ़ाई कर दी। दोनों ओर से घमासान युद्ध में दुर्गापुर के राजा की मौत हो गयी। राजा की मौत की खबर सुनकर दुर्गापुर की रानी ने भी नदी में कूद कर जान दे दी। तभी से अपने राजा-रानी के शोक में यहां के लोग होली नहीं खेलते हैं।
बताया जाता है कि राजा की मौत के बाद लगभग 100 साल बाद बाहर से आये मल्हार जाति के लोगों ने होली खेली थी, तो रात में चार मल्हार की मौत हो गयी थी, जबकि कई ग्रामीण बीमार पड़ गये थे। तब ग्रामीणों के कहने पर दुर्गा पहाड़ में पूजा अर्चना के बाद बीमार लोग ठीक हुए थे। देश आजाद होने के बाद गांव के कुछ लोगों ने फिर होली खेली, तो गांव में महामारी फैल गयी। कई लोग बीमार पड़ गये, दर्जनों पशु मर गये। इस घटना के बाद ग्रामीणों ने दुर्गा पहाड़ पर पूजा अर्चना कर होली नहीं खेलने की शपथ ली, तब से गांव में शांति है।

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