श्रद्धांजलि में भी राजनीति करना कांग्रेस की परंपराः प्रवीण प्रभाकर

रांची । झारखण्ड के प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने बुधवार को कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि श्रद्धांजलि में भी राजनीति करना कांग्रेस की परंपरा रही है। भगवान तथाकथित धर्मगुरुओं और कांग्रेस से देश को बचाए। राजीव गांधी की पुण्यतिथि का राजनीतिक इस्तेमाल कर कांग्रेस ने सत्तालोलुपता का परिचय दिया है। भाजपा सरकार गिराने का संकल्प लेकर कांग्रेस ने भारतीय संस्कृति और परंपरा का अपमान किया है। साथ ही ऐसी हरकत कर राजीव गांधी की आत्मा को भी दुखी कर दिया।
प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में प्रभाकर ने कहा कि राजीव गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए कांग्रेस ने सर्वधर्म प्रार्थना की, जिसमें विभिन्न तथाकथित धर्मगुरुओं ने भाजपा सरकार से निजात दिलाने और गांधी परिवार के हाथ में देश को सौंपने के लिए प्रार्थना की गई।

ऐसा कर इन तथाकथित धर्मगुरुओं ने भी धर्म और संस्कृति का मखौल उड़ाया है और खुद को कांग्रेस का राजनीतिक हथियार बना डाला है।प्रभाकर ने कहा कि सद्भावना दिवस के नाम पर कांग्रेस ने दुर्भावना फैलाने का काम किया है। कांग्रेस को इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री रघुवर दास की लोकप्रियता से कांग्रेस इतनी ज्यादा हताश हो गई है कि वह अब श्रद्धांजलि कार्यक्रमों में भी भाजपा सरकार गिराने का सपना देख रही है।

 उन्होंने कहा कि महापुरुषों को श्रद्धांजलि देते  समय भी कांग्रेस राजनीति करने से नहीं चूकती। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की अंत्येष्टि के पूर्व ही कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था, जबकि अंत्येष्टि तक सभी कार्य रोककर रखने की परंपरा है। इंदिरा गांधी के निधन की आधिकारिक घोषणा के पूर्व ही कांग्रेस ने राजीव गांधी को शपथ दिलवा दी थी।

प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की अंत्येष्टि में शामिल होने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पटना नहीं गए थे और जयपुर चले गए थे।प्रभाकर ने कहा कि राजस्थान में सरकार बनते ही राज्य प्रतिमा खोज परीक्षा से पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम हटाकर कांग्रेस ने उनका अपमान किया, लेकिन भाजपा ने गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर चल रही दर्जनों योजनाओं का नाम नहीं बदला। उन्होंने कहा कि जब किसी महापुरुष को श्रद्धांजलि दी जाती है तो व्यक्तिगत एवं दलगत सीमा से ऊपर उठकर उन्हें नमन किया जाता है। यही भारत की संस्कृति तथा परंपरा है। कांग्रेस सत्ता पाने की बैचेनी में भारत की संस्कृति एवं परंपरा को भूल गई है। उसे सिर्फ कुर्सी और गांधी परिवार की चिंता है।

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