खूंटी विधानसभा सीट : सीधा मुकाबला होने पर बढ़ सकती है भाजपा उम्मीदवार की परेशानी

खूंटी। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव की तिथि निकट आती जा रही है, खूंटी जिले में पड़ने वाले खूंटी (सुरक्षित) और तोरपा विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियां तेज होती जा रही हैं। पर्व-त्योहार के खत्म हेाते ही इलाके में चुनावी चर्चा जोरों पर है। इन दिनों सबसे अधिक चर्चा संभावित प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों के टिकट के दावेदारों को लेकर हो रही है।

गौरतलब है कि खूंटी में पिछले चार चुनावों से भाजपा के कद्दावर नेता और सूबे के ग्रामीण विकास व संसदीय कार्य मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा लगातार विरोधियों को पटखनी देते आये हैं।  वैसे तो खूंटी विधानसभा क्षेत्र में आजादी के शुरुआती वर्षों में झारखंड पार्टी का एकक्षत्र दबदबा कायम रहता था, लेकिन 80 के दशक से कांग्रेस ने झापा के वोटबैंक में सेंधमारी कर खूंटी विधानसभा सीट पर अपना झंडा गाड़ दिया। 1980 में कांग्रेस के सामू पाहन ने खूंटी विधानसभा सीट पर कब्जा जमाया। इसके बाद 1985, 1990 व 1995 में कांग्रेस की नेता सुशीला केरकेट्टा ने जीत की हैट्रिक जमाकर कांग्रेस का परचम लहरा दिया। हालांकि 1989 में राममंदिर आंदोलन के बाद क्षेत्र में भाजपा की जड़ें लगातार गहरी होती गयी। इस दौरान भाजपा लोकसभा चुनाव में तो जीत दर्ज करती रही, लेकिन विधानसभा चुनाव में उसे पहली बार सफलता वर्ष 2000 के चुनाव में मिली।

भाजपा के युवा नेता नीलकंठ सिंह मुंडा ने सुशीला केरकेट्टा को पराजित किया। इसके बाद नीलकंठ सिंह मुंडा ने कभी हार का मुंह नहीं देखा। उन्होंने खूंटी में भाजपा के झंडे को बुलंद कर दिया। 2014 के विधानसभा चुनाव में नीलकंठ सिंह मुंडा ने 21499 मतों से जीत हासिल कर रिकार्ड बना दिया। नीलकंठ सिंह मुंडा को कुल 46992 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी झामुमो के जीदन होरो को 25493 और तीसरे स्थान पर रही कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पा सुरीन को महज 17527 वोट ही मिले थे। इस चुनाव में कांग्रेस व झामुमो प्रत्याशी को मिले मतों को जोड़ भी दिया जाए, तो वह भाजपा प्रत्याशी के मतों से कम ही रहे थे। गत विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे झामुमो के युवा नेता जीदन होरो की हत्या हो चुकी है। जीदन होरो की हत्या के बाद से अभीतक उनके जैसा कद्दावर नेता झामुमो को नहीं मिल पाया है।

यदि इन आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं, तो भाजपा की राह आसान नजर आती है, लेकिन छह माह पूर्व हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार ने खूंटी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी के सामने अप्रत्याशित प्रदर्शन से उसे चौंका दिया था। कांग्रेस को जहां गत विधानसभा चुनाव में 17527 वोट मिले थे वहीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने आश्चर्यजनक ढंग से 72812 मत प्राप्त कर राजनीतिक पंडितों को भी चौंका दिया था। 

यूं तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का झामुमो सहित अन्य दलों से गठबंधन था, फिर भी कांग्रेस प्रत्याशी को जितने मत मिले वह चौंकाने वाले थे। इस स्थिति में देखा जाए, तो खूंटी विधानसभा क्षेत्र में यदि त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबला हुआ, तो भाजपा की राह आसान हो जाएगी। वहीं यदि विपक्ष भाजपा के खिलाफ साझा उम्मीदवार खड़ा करता है, तो भाजपा के समक्ष परेशानी उत्पन्न हो सकती है। 

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