बिहार में बाढ़ से 25 मरे , 12 जिलों के 26 लाख लोग प्रभावित : नीतीश

पटना।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तर बिहार में अचानक आई भारी बाढ़ से निपटने के लिए सरकार को दृढ़ संकल्पित और राहत तथा बचाव कार्य की तैयारी को मुकम्मल बताते हुए कहा कि बाढ़ में अब तक 25 लोगों की मौत हुई है , 1.25 लाख लोगों को बचाया गया है और 2571600 लोग प्रभावित हैं । राज्य में आई बाढ़ की स्थिति पर बिहार विधानसभा में मंगलवार को सरकार की तरफ से वक्तव्य देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि इससे निपटने के लिए सरकार की तैयारी पूरी है और तत्परता के साथ बाढ़ पीड़ितों को हरसंभव सहायता मुहैया कराई जा रही है।

उन्होंने कहा कि मंगलवार की सुबह 10 बजे तक बाढ़ से 25 लोगों की मौत हुई है । उन्होंने कहा कि राज्य के कुल 12 जिलों के 78 प्रखंडों की 555 पंचायतों की 25 लाख 71 हजार 600 जनसंख्या बाढ़ से प्रभावित है।   उन्होंने कहा कि राज्य के शिवहर, सीतामढ़ी ,पूर्वी चंपारण ,मधुबनी, अररिया, किशनगंज, सुपौल, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सहरसा ,कटिहार एवं पूर्णिया जिले बाढ़ से प्रभावित हैं।  प्रभावित इलाकों में 199 राहत शिविर खोले गए हैं जहां 116653 लोग रह रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ से प्रभावित प्रत्येक परिवार के खाते में 6000₹ प्रति परिवार की दर से सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी और यह वितरण 19 जुलाई से प्रारम्भ किया जाएगा । उन्होंने कहा कि राहत शिविर के अलावा 676 सामुदायिक रसोई घरों की व्यवस्था की गई है। आवश्यकता पड़ने पर राहत शिविर तथा सामुदायिक रसोई घर की संख्या बढ़ाई जाएगी।

उन्होंने कहा कि सामुदायिक रसोई घर में भोजन की गुणवत्ता, शुद्ध पेयजल और साफ-सफाई पर समुचित ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ प्रभावित सभी क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य तेज करने का निर्देश देते हुए राहत एवं बचाव कार्य के लिए 796 मानव बल तथा 125 मोटरबोट के साथ-साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 26 टुकड़ियाँ तैनात की गई हैं। उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टुकड़ियों ने अभी तक लगभग 1.25 लाख लोगों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से सुरक्षित निकाला है।    राहत कार्य की विस्तार से जानकारी देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि प्रभावित लोगों के बीच दवाइयों के साथ- साथ हैलोजन टेबलेट, ओआरएस पैकेट, डायरिया की दवा ,ब्लीचिंग पाउडर वितरित किया जा रहा  है और साथ ही पशु दवा की समुचित व्यवस्था के अलावा पशुओं के लिए चारा का इंतजाम करने का भी निर्देश दिया गया है।

राहत कार्य एवं बचाव कार्यों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए पहले से ही एक मानक संचालन प्रक्रिया बनायी  है जिसके अनुरूप बाढ़ पूर्व तैयारियों से लेकर बाढ़ के समय तथा बाढ़ की समाप्ति के बाद किए जाने वाले कार्यों  किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी मानक के अनुरूप सभी जिलाधिकारी ससमय पूरी तैयारी कर लेते हैं जिसके फलस्वरूप आपदा प्रबंधन का कार्य अधिक सुगम तथा दक्ष हो गया है। राहत कार्यों में किसी तरह की कोई कठिनाई नहीं हो इसके लिए वित्तीय नियमों को सरल बनाया गया है तथा वित्तीय शक्तियों का विकेंद्रीकरण भी किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में तथा मुख्यालय स्तर पर इमरजेंसी ऑपरेटिंग सेंटर की स्थापना की गई है जो सूचना संग्रहण, सूचना विश्लेषण, सूचना प्रेषण एवं नियंत्रण कक्ष के रूप में 15 जून से ही सभी जगह पर कार्य कर रहा है। नीतीश कुमार ने कहा कि बाढ़ राहत के लिए सभी जिलों को आवंटन उपलब्ध कराया जा चुका है तथा अनुग्रह अनुदान के लिए सरकार ने हर जिले में चक्रीय निधि( रिवाल्विंग फंड ) की व्यवस्था की है। इस व्यवस्था से आपदा में मृत व्यक्तियों के आश्रितों को 24 घंटे के भीतर अनुग्रह अनुदान की राशि दे दी जाती है।

सरकार के खजाने पर सबसे पहला हक आपदा पीड़ितों का रहने के अपने पूर्व के वक्तव्य को दोहराते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि बाढ़ प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद उपलब्ध कराने के लिए सभी आवश्यक कार्य किए जा रहे हैं। नीतीश कुमार ने अपने वक्तव्य में स्वीकार किया कि वर्ष 2017 में आई भीषण बाढ़ से प्रभावित लोगों को सहायता राशि का विलंब से वितरण हुआ था। उन्होंने कहा कि राशि के वितरण में बैंक के ब्रांचों ने काफी विलंब किया था और सूची तैयार करने में भी कई प्रकार की शिकायतें आई थीं। उन्होंने कहा कि इन परेशानियों को देखते हुए बाढ़ ग्रस्त जिलों में प्रभावित परिवारों को सहायता राशि सीधे उनके खाते में दिए जाने की व्यवस्था की गई है और अब नई व्यवस्था अधिक पारदर्शी है तथा बैंक पर भी निर्भरता समाप्त हुई है। सूची में किसी तरह की कोई त्रुटि ना हो इसके लिए लाभार्थियों की सूची आपदा विभाग के पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित परिवारों के बीच सहायता राशि का वितरण 19 जुलाई से किया जाएगा ।    

दरभंगा, मधुबनी ,सीतामढ़ी , पूर्वी चंपारण, शिवहर ,अररिया , किशनगंज , पूर्णिया, कटिहार के बाढ़ प्रभावित स्थानों के दो दिनों के हवाई सर्वेक्षण का ब्योरा देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि विगत तीन- चार दिनों में नेपाल के तराई के इलाकों में पिछले वर्षों में सामान्य तौर पर 50 मिली मीटर औसत वर्षा की तुलना में इस वर्ष 280 से 300 मिली मीटर वर्षा अधिक हुई है और बहुत ज्यादा वर्षा होने के कारण फ्लैश फ्लड जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि इससे नेपाल से निकलने वाली कमला बलान, बागमती, लालबकेया, अधवारा समूह की नदियों ,कोशी, परमान ,बकरा, कनकई और महानंदा में अधिक पानी आने के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। उन्होंने कहा कि कमला नदी के नेपाल स्थित जल ग्रहण क्षेत्र में 12 जुलाई और 13 जुलाई को अधिक बारिश के कारण 203.60 से लेकर 319.80 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई जिससे कमला नदी में अत्यधिक पानी आ गया और मधुबनी जिला के जयनगर में कमला वियर सह ब्रिज के लगभग 2 फीट ऊपर तक पानी का बहाव होने लगा । झंझारपुर रेल पुल के निकट वर्ष 1987 में कमला नदी का उच्चतम जलस्तर 54.34 मीटर था उस जलस्तर में 16 सेंटीमीटर की वृद्धि होने से 54.50 मीटर हो गया है। कमला नदी में अधिक पानी आने के कारण कमला बलान का बायाँ तटबंध दो स्थानों पर एवं दायाँ तटबंध छह स्थल पर क्षतिग्रस्त हो गया जिसकी वजह से मधुबनी जिले के जयनगर, अंधराठाढ़ी, झंझारपुर, बाबूबरही ,लदनिया प्रखंड तथा दरभंगा जिले  के तारडीह, घनश्यामपुर एवं गौराबौराम प्रखंड प्रभावित हुए हैं।

इसी तरह बागमती नदी के नेपाल स्थित जल ग्रहण क्षेत्र में भी अधिक वर्षा के कारण ढेंग स्थल पर 14 जुलाई को 73 मीटर का नया उच्चतम जलस्तर दर्ज किया गया जो अपने पहले के जल स्तर से 40 सेंटीमीटर अधिक था। इसके अलावा बागमती नदी के सोनाखान स्थल पर 14 जुलाई को ही 72.05 मीटर का उच्चतम जलस्तर दर्ज किया गया जो कि अपने पहले के जल स्तर से 1.28 मीटर अधिक था। बागमती नदी में आई बाढ़ के कारण से शिवहर, सीतामढ़ी एवं मुजफ्फरपुर जिले के लोग प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि बागमती नदी पर निर्मित सभी तटबंध फिलहाल सुरक्षित हैं । नीतीश कुमार ने कहा कि लालबकेया नदी में अधिक पानी आने की वजह से पूर्वी चंपारण एवं शिवहर जिले के लोग प्रभावित हुए हैं। अधवारा समूह की विभिन्न नदियों में अधिक पानी आने के कारण सीतामढ़ी, मधुबनी जिले में मधवापुर, हरलाखी, बेनीपट्टी प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हैं । खिरोई नदी में कमतौल ब्रिज के पास मुरैना गांव में बांध टूटने से दरभंगा जिले के जाले प्रखंड में पानी का फैलाव हुआ है।

कोसी की चर्चा करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि कोसी  नदी में हनुमान नगर स्थित बराज पर 13 जुलाई को 371110 क्यूसेक पानी आया जो पिछले 15 वर्षों का सर्वाधिक है ।कोसी  नदी के सभी तटबंध अभी सुरक्षित हैं परंतु सुपौल, सहरसा एवं मधुबनी जिले  के तटबंध के भीतर रहने वाले लोग प्रभावित हुए हैं। परमान ,बकरा, कनकई एवं अन्य नदियों में अधिक जलश्राव के कारण अररिया जिले में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है । मेची, दोक एवं महानंदा नदी में अधिक जलश्राव प्राप्त होने के चलते किशनगंज के कई लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। महानंदा नदी में 15 जुलाई को ढेंगराघाट में 35.18 मीटर एवं झाबुआ में 32.36 मीटर का जलस्तर रिकॉर्ड किया गया। इन दोनों स्थानों पर यह नदी 1.51 मीटर एवं 1.23 मीटर ऊपर बह रही है।

महानंदा बेसिन में अवस्थित सभी तटबंध फिलहाल सुरक्षित हैं।   नीतीश कुमार ने कहा कि हवाई सर्वेक्षण के बाद पूर्णिया के चूनापुर हवाई अड्डे पर पूर्णिया प्रमंडल के सभी वरिष्ठ अधिकारी , पूर्णिया अररिया ,कटिहार ,किशनगंज के जिलाधिकारी तथा राज्य के मुख्य सचिव एवं जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव , आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बाढ़ एवं बचाव तथा राहत कार्य की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने कहा कि संपूर्ण स्थिति पर सरकार की नजर है और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रभावकारी कार्रवाई  की जा रही है। उन्होंने कहा कि विगत वर्षों के अनुभव के आधार पर बिहार में बाढ़ सामान्यतया अगस्त  में आती है और अभी जुलाई का महीना चल रहा है । किसी भी क्षेत्र में बाढ़ आने पर जल्द से जल्द कार्रवाई  के लिए सरकार और प्रशासन के स्तर पर सभी तैयारियां मुकम्मल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन पूरी संवेदनशीलता के साथ सजग है।

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