झारखंड चुनाव पर बड़ा सवाल, कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन पहुंचेगा विधानसभा?

-मुरली मनोहर श्रीवास्तव-

अपराध जिनकी फितरत में शामिल हो, जिसने कई घरों में तबाही और खौफ पैदाकर अपने अपराध के तमगे में वृद्धि किया करता था वो राजनीति में आकर पवित्र गीता को साक्षी मानकर आम जन मानस की सेवा करने की शपथ लेगा! हम, बात कर रहे हैं इस बार झारखंड के नक्सली कुंदन पाहन की। जिसके नाम से लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते थे, वो किस मुंह से उन परिवारों के सामने उनकी सेवा के लिए सत्ता की गलियारे में दशतक देने के लिए झोली फैलाएगा। आखिर क्यों माफ करे उसे जनता सिर्फ इसलिए कि उसके सारे खून माफ कर दिए गए क्यों कि वो अच्छा इंसान बनने चला है। लेकिन एक बार सोच लीजिए भले ही आपके साथ नहीं हुई हो मगर किसी न किसी की मांग जरुर उजाड़ी थी इसने, किसी की कोंख को सूना किया था, तो कई मासूमों को यतीम बना दिया, कई फूल खिलने से पहले ही कुम्हला गए, वो भी सिर्फ इसलिए कि कुंदन पाहन के साथ कभी किसी ने कुछ किया है उसका बदला लेने के लिए बर्बादी का मंजर खड़ा कर दिया। एक बात याद रखना कुंदन तुम भले ही इस मायावी दुनिया में अपनी मंजिल पा लो मगर ऊपर वाले के यहां हिसाब किताब में कोई कोताही नहीं होती।

राजनीति के माध्यम से पापों को धोने की कोशिशः

कुंदन पाहन नक्सल की दुनिया का खतरनाक नाम, जिसने हत्या का आरोप है। लेकिन अचानक से इंसान के खून का प्यासा इंसान का सेवक बनना चाहता है। इसलिए अब वह झारखंड में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 18 नवंबर को तमाड़ के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करेगा। रांची के एनआए कोर्ट ने उसे 15 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस के चलते नामांकन करने का आदेश 18 नवंबर निर्धारित कर दिया है। कुंदन पाहन अभी हजारीबाग खुला जेल में सजा काट रहा है। जैसे ही इस नक्सली को अपने जीवन में आगे का रास्ता कठिन नजर आया तो इसने पैंतरा बदल दिया और सरकार के समर्पण वाली नीति को अपनाते हुए समर्पण कर दिया था। बाहर रहकर तबाही मचाने वाला कुंदन एक बार फिर बाहर आकर राजनीति के माध्यम से अपने पापों को धोना चाहता है। इनके विधान सभा सदस्य चुन लिए जाने के बाद समाज में इनकी भूमिका बदल तो जाएगी मगर इनके इतिहास को कैसे सुन पाएंगी आने वाली पीढ़ी, क्या मिलेगी इनसे प्रेरणा। इतना के लिए तो बस इतना ही कहा जा सकता है लोकतंत्र में सबको अपनी बातों को रखने और प्रस्तुत करने की आजादी है।

राजनीति में कुंदन की धमक:

15 लाख का इनामी कुख्यात कुंदन पाहन नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों का रीजनल कमेटी मेंबर था। इस पर कुल 127 आपराधिक मामले वांछित थे। वर्ष 2000 से इसकी अपराध की दुनिया में इंट्री हुई और इसी साल भाकपा माओवादी संगठन का सदस्य बनने के बाद कुंदन पाहन नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल उर्फ प्रचंड ने साथ बोकारो जिले के झुमरा पहाड़ पर ट्रेनिंग ली थी। इसके अलावे पश्चिम बंगाल के माओवादी नेता मनीष दा, किशन जी, भास्कर दा उर्फ मिसिर बेसरा और नंदलाल ने झुमरा पहाड़ पर युद्ध का प्रशिक्षण इसे दिया था। एक कहावत है कि आग में तप कर लोहा कुंदन बन जाता है लेकिन यहां तो उल्टा हो गया नक्सल की ट्रेनिंग तपकर कुंदन कोयला हो गया। उसने अपराध की दुनिया में कदम इस कदर बढ़ाया की घटनाओं की एक लंबी फेहरिस्त खड़ी हो गई। सांसद सुनील महतो, पूर्व मंत्री और विधायक रमेश सिंह मुंडा, बुंडू आरक्षी उपाधीक्षक प्रमोद कुमार, छह पुलिसकर्मी, इंस्पेक्टर स्पेशल ब्रांच फ्रांसिस इंदवार की हत्या मामले में आरोपित कुंदन ने एक प्राइवेट बैंक से 5 करोड़ रुपया और एक किलो सोना तक मामले में आरोपित कुंदन ने जब देखा की आगे डगर इसके पल्ले नहीं पड़ने वाली है तो इसने 14 मई 2017 को आत्मसमर्पण कर दिया। यहां से उसके अपराध का पटाक्षेप हुआ, जेल की सलाखों में कैद होने के साथ ही इसके सारे पाप धूल गए और अब राजनीति में दस्तक देने के लिए 18 नवंबर को नामांकन कर झारखंड के विकास का हिस्सा बन जाएंगा।

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