शेविंग रेजर,नेल कटर का प्रयोग,गोदना गोदाने व कान छेदाने से पहले सावधान ,लीवर की बिमारी हो सकती है :डा जितेंद्र सिन्हा

Ranchi : हेपेटाइटिस लीवर की एक ऐसी बीमारी है जो वायरल इन्फेक्शन के कारण लीवर में सूजन पैदा करता है। भोजन नहीं पचता है।गैस और उल्टी होता है और अन्त में लीवर कैंसर में बदलकर मृत्यु का कारण बनता है।

हेपेटाइटिस चार तरह के होते हैं।इसका नामकरण इसे उत्पन्न करने वाले वायरस के आधार पर किया गया है। ए, बी, सी और ई। हेपेटाइटिस ए और ई कम गंभीर और कुछ महीने या साल के बाद स्वतः ठीक होने वाली बिमारी है। यह बिमारी दूषित भोजन और गन्दे पानी पीने के कारण होता है।

हेपेटाइटिस बी और सी सबसे गंभीर प्रकार हैं ।इसका संक्रमण वर्षों- वर्ष रहता है. हेपेटाइटिस बी या सी से लीवर गंभीर रूप से क्षति ग्रस्त हो जाता है,जो लिवर सिरोसिस (पूर्ण स्कारिंग) और अन्त में लीवर का कैंसर में बदल जाता है। लीवर कैंसर का उपचार लीवर का प्रत्यारोपण है जो काफी महंगा और आंशिक सफल आपरेशन है।

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लीवर के इलाज में सबसे बड़ी समस्या इसकी शुरूआती पहचान न कर पाना है।जबकि लीवर के संक्रमण को रक्त जांच एसजीपीटी,एसजीओटी और एंटीजेन द्धारा आधे घंटे में मालूम किया जा सकता है।

हेपेटाइटिस सी के शुरुआती अवस्था मालूम हो जाने पर ऐसी दवाएं उपलब्ध है जो ३-६ माह में इसे ठीक कर देते है।हेपेटाइटिस बी के लिए भी ऐसी दवाएं उपलब्ध हैं जो सदा लेते रहने पर रोगी पूरे जीवनकाल तक स्वस्थ रहता है।यह सच है कि हेपेटाइटिस बी के विषाणु कमोबेश पूरी जिंदगी बने रहते हैं।इसके लिए वैक्सिनेशन भी है जो बिमारी से बचाता है।यह टीका बच्चों को जरूर लगवा देना चाहिए।

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अपने देश में हेपेटाइटिस बी और सी के छुपे हुए ५ करोड़ संक्रमित रोगी हैं।सही जगह इलाज न कराने के कारण उन्हें मालूम ही नहीं कि वे इतने गम्भीर रोग से संक्रमित हैं।ऐसे रोगी इंजेक्शन के आदान प्रदान,असुरक्षित कान छिदवाने, गोदना गोदने से, असुरक्षित यौन संबंध, माँ से बच्चे, शेविंग रेजर और नेल कटर से स्वस्थ्य लोगों में यह बिमारी फैला रहे हैं।

हेपेटाइटिस के गम्भीर अवस्था के इलाज के लिए भारत में एंटीकावीर, लैमुवीडिन, टेनोफवीर जैसे एंटी वायरल टैबलेट से इलाज किया जाता है।इनजैकशन के रूप में इंटर फेरान होता है।

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