खूंटी । संसदीय क्षेत्र खूंटी (सुरक्षित) से भाजपा द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को उम्मीदवार बनाये जाने से पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश आ गया है। भाजपा समर्थक ही नहीं, विरोधी दल के नेता भी स्वीकार करते हैं कि अर्जुन की उम्मीदवारी से भाजपा की स्थिति मजबूत हुई है। हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में तोरपा के झामुमो विधायक पौलुस सुरीन कहते हैं कि भाजपा ने एक सुलझे और अनुभवी नेता को मैदान में उतारा है। अर्जुन मुंडा भाजपा के ऐसे नेता हैं, जिन्होंने सरकार की गलत नीतियों का खुलकर विरोध किया। चाहे मामला स्थानीय नीति का हो या भूमि अधिग्रहण का। विधायक सुरीन ने कहा कि अर्जुन मुंडा के इस कदम से आदिवासी समाज में उनका कद बढ़ा है। भाजपा के नेता भी स्वीकार करते हैं कि पार्टी नेतृत्व ने अर्जुन मुंडा को प्रत्याशी बनाकर सही कदम उठाया है। पार्टी समर्थक कहते हैं कि अर्जुन मुंडा की राजनीतिक पहचान हर क्षेत्र में है।
पूर्व मुख्यमंत्री को उम्मीदवार बनाये जाने का लगभग सभी कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है। भाजपा के समर्थक भी स्वीकार करते हैं कि पार्टी नेतृत्व ने सही फैसला लिया है। स्थानीय राजनीति के जानकारों का कहना है कि अर्जुन मुंडा की उम्मीदवारी से भाजपा में गुटबाजी कम होगी। वे कहते हैं कि सांसद कड़िया मुंडा और खूंटी के भाजपा विधायक और राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा के बीच राजनीतिक मतभेद किसी से छिपा नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मंत्री के सगे भाई कालीचरण मुंडा कांग्रेस के प्रत्याशी थे। कड़िया मुंडा के कतिपय समर्थकों को आशंका थी कि नीलकंठ सिंह मुंडा अपने भाई के पक्ष में भितरघात कर सकते हैं। हालांकि यह आशंका पूरी तरह निर्मूल साबित हुई और कड़िया मुंडा आसानी से सांसद चुन लिये गये। जानकार बताते हैं कि उसी साल हुए विधानसभा चुनाव में कड़िया मुंडा के समर्थकों ने भाजपा प्रत्याशी नीलकंठ सिंह मुंडा को पराजित करने के लिए अपने पूर्व पीए और नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष मदीराय मुंडा को बसपा का उम्मीदवार बना दिया, ताकि सरना वोट में सेंधमारी की जा सके, पर मदीराय अपनी जमानत तक नहीं बचा पाये और नीलकंठ सिंह मुंडा रिकाॅर्ड मतों के साथ विधायक बने। अभी वे मंत्री हैं। विधायक और सांसद के बीच दूरियां बढ़ती गयीं, पर दोनों ने सार्वजनिक रूप से इसे कभी प्रदर्शित नहीं होने दिया। जानकार कहते हैं कि अर्जुन मुंडा की उम्मीदवार से भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी पर विराम लगेगा। अर्जुन मुंडा ऐसे उम्मीदवार हैं जो सभी को साथ लेकर चलने में सक्षम हो सकते हैं।
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