लालू को राहत दिलाने के लिए तेजस्वी अमित शाह के संपर्क में

  • प्रवक्ताओं को खबरिया चैनलों से दूर रहने की  हिदायत से मिल रहा बल

पटना राजद प्रवक्ताओं को किसी तरह के बयान देने व खबरिया चैनलों के डिबेट से दूर रहने की हिदायत जारी किये जाने और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का पिछले एक पखवाड़े से सक्रिय राजनीति से दूर रहने को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। इन दोनों बातों को एक साथ जोड़कर देखा जा रहा है। बिना किसी सूचना के तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी की वजह से राजद के एक खेमे में यह चर्चा आम है कि वह दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह के साथ संपर्क बनाये हुये हैं ताकि लालू यादव को राहत दिला सके।कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में शिकस्त के बाद तेजस्वी यादव को इस बात का अहसास हो चुका है कि आने वाले समय में उन पर  आय से अधिक संपत्ति के मामले में कानूनी शिकंजा कस सकता है। उन्हें भी उनके पिता की तरह  चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। लोकसभा में हार के बाद इस खतरे को वह शिद्दत   से महसूस कर रहे हैं इसलिए अब वह अपने पिता लालू यादव को राहत दिलाने के साथ-साथ खुद के वजूद को बचाने के लिए नये तरीकों पर अमल करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। कहा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के भाजपा के फार्मूले को नकारने के बाद नीतीश कुमार और अमित शाह के बीच खटपट से भी तेजस्वी यादव को बदलते राजनीतिक परिवेश में नयी संभावनाओं पर  सोचने के लिए बल मिला है। अपने और अपने परिवार को आने वाली मुसीबतों से बचाने के लिए वह नये राजनीतिक समीकरण टटोलने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी समझ में आ गयी है कि सियासत की राहें सीधी नहीं होतीं । सियासत में बने रहने और आगे बढ़ने के लिए घुमावदार राहों पर भी बढ़ना और उसे न्यायसंगत ठहराना भी आना चाहिए। राजद सूत्रों का कहना है कि गृहमंत्री अमित शाह तक पहुंचने के लिए वह मुलायम सिंह यादव का सहारा ले रहे थे। राजद के एक खेमे में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि इस मामले में मुलायम सिंह यादव भी उनकी खुलकर मदद कर रहे थे। कहा जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव के जरिये अरुण जेटली से वह दिल्ली में दो बार मिल भी चुके हैं। हालांकि इस बात की आधिकारिक तौर पर अभी तक तस्दीक नहीं हो सकी है लेकिन बिहार में राजद के खेमे में अरुण जेटली के साथ उनकी मुलाकात को लेकर खुसर -फुसर हो रही है। राजद के नेता और कार्यकर्ता दबी जुबान में एक दूसरे से यह पूछते नजर आ रहे हैं कि वाकई में यह सच है या अफवाह। अज्ञातवास से जिस तरह से तेजस्वी यादव ने तमाम राजद प्रवक्ताओं को  खबरिया चैनलों पर जाकर अपना मुंह  खोलने से रोक दिया है उससे भी इस चर्चा को बल मिला है कि वह भाजपा के साथ साठगांठ करने की कोशिश कर रहे हैं। अपने उल्टे सीधे बयान से राजद के तमाम प्रवक्ता इस पहल को बाधित कर सकते हैं। मजे की बात है तेजस्वी यादव के बिहार से लगातार गायब रहने और आधिकारिक तौर पर इस संबंध में राजद की ओर से कुछ भी नहीं कहने से भी इस बात को बल मिल रहा है कि तेजस्वी यादव और भाजपा के नेताओं के बीच कुछ खिचड़ी पक रही है। पिछले एक पखवाड़े में बिहार में चमकी बुखार और लू से सैंकड़ों बच्चों समेत कई लोगों की मौत के बावजूद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का इस कदर गायब रहना राजद के नेताओं और कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे और महासचिव आलोक मेहता भी उत्तर बिहार में महामारी का रूप ले चुके चमकी बुखार और लू के कहर से बच्चों सहित सैंकड़ों लोगों की मौत पर तेजस्वी यादव के बिना सिर्फ रस्मी तौर पर विरोध करते नजर आ रहे हैं। कारगिल चौक से गांधी मैदान में गांधी प्रतिमा तक कैंडिल मार्च में मुट्ठीभर लोग ही दिखे। ऐसे मौकों पर तेजस्वी यादव के नहीं रहने पर वे लोग भी मानसिक तौर पर टूटे हुये नजर आ रहे थे। इस दौरान कुछ लोगों ने तो खुलकर कहा कि एक समय था जब राजद के किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन वाले कार्यक्रम में लोगों का हुजूम एकत्र हो जाता था। आज मुट्टी भर लोगों को जुटाने में भी पसीने छूट रहे हैं। जब तेजस्वी यादव के लापता होने के बारे में आलोक मेहता या फिर रामचंद्र पूर्वे से पूछा जाता है तो उनके पास टालमटोल करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता है। एक सवाल को बार-बार पूछने पर वे अपने गुस्से को जब्त नहीं कर पाते हैं। ऐसा नहीं है कि बिहार में तेजस्वी यादव के चाहने वालों की कमी है। बिहार में उनके समर्थकों की अच्छी खासी संख्या है। उनके समर्थक चाहते हैं कि तेजस्वी यादव बिहार में एक मजबूत प्रतिपक्ष के नेता का किरदार अदा करें  लेकिन पिछले एक पखवाड़े से वह जिस तरह से गायब है उससे उनके समर्थकों का भी उनमें विश्वास हिलता दिख रहा है। राजद सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि राजद में कुछ लोग इस बात पर विचार करने लगे हैं कि लालू यादव और उनके परिवार को अलग- थलग करके राजद में नये नेतृत्व के लिए जगह बनायी  जाये। यदि यह संभव नहीं हो पाता है तो फिर राजद को तोड़ने से भी परहेज नहीं किया जाये। अगर तेजस्वी यादव अपने परिवार के फायदे के लिए भाजपा के साथ सांठगांठ करने की कोशिश कर सकते हैं तो फिर उन्हें भी पूरा हक है कि वे राजद को सही दिशा में ले जाने के लिए अपनी एड़ी- चोटी का जोड़ लगा दें। वैसे गफलत की इस स्थिति को देखते हुये राजद के कुछ वरिष्ठ नेता चाह रहे हैं कि पार्टी के हित के लिए तेजस्वी यादव जल्द से जल्द लोगों के सामने आकर लोगों के बीच तेजी से फैल रहे भ्रम को दूर करें  और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी को मजबूती से खड़ा करें।

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