फाइनेंस में करियर, कोर्स, जॉब और सैलरी, जानें सब कुछ

पिछले कुछ वर्षों से मोबाइल, इंटरनेट बैंकिंग के क्षेत्र को लेकर जागरूकता बढ़ने के साथ-साथ निवेश में भी तेजी आई है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। प्रतिव्यक्ति आय कम होने व जीडीपी के सीमित होने के बावजूद यह क्षेत्र लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरा है। चाहे बहुराष्ट्रीय कंपनियां हों या अन्य फाइनेंस कंपनियां, सभी गांवों की ओर रुख कर रही हैं। ऐसे में फाइनेंशियल प्लानर और इससे संबंधित पेशेवरों की जरूरत भी बढ़ी है।

मिलते हैं कई अवसर

दरअसल फाइनेंस, प्रबंधन से जुड़ा वह विज्ञान है, जिसमें धन या अन्य साधनों के निवेश की अनेक प्रक्रियाओं की जानकारी मिलती है। इसमें वित्तीय लेन-देन के प्रबंधन के लिए नए-नए तरीके ईजाद किए जाते हैं। इससे इंटरनेशनल फाइनेंसिंग, मल्टी करेंसी ट्रेनिंग, इंटरनेशनल लीज, फाइनेंसिंग आदि को जोड़ सकते हैं।

कब रख सकेंगे कदम

फाइनेंस में अकसर बी.कॉम के छात्र आना पसंद करते हैं। इसमें नौकरी के इच्छुक युवाओं से कम से कम अर्थशास्त्र में ग्रेजुएट होने की उम्मीद की जाती है। युवा, जिन्होंने चार्टेर्ड एकाउंटेंसी और कॉस्ट एंड वर्क्स एकाउंटेंसी किया है, वे फाइनेंस में एमबीए करने की ओर कदम बढ़ाना पसंद करते हैं। इस क्षेत्र में इच्छुक युवा अकसर फाइनेंशियल मैनेजमेंट में मास्टर, इकोनॉमिक्स या कॉमर्स में पीजी करने के बाद कदम रखते हैं।

कोर्स की उपलब्धता

आज प्रबंधन की पढ़ाई कराने वाले संस्थानों में सबसे ज्यादा स्पेशलाइजेशन फाइनेंस में कराए जाते हैं। इसकी वजह युवाओं में इसकी बढ़ती मांग है। फाइनेंस में छह माह से तीन साल की अवधि के डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा, ग्रेजुएशन व मास्टर स्तर के कई पाठ्यक्रम तमाम संस्थानों में कराए जाते हैं। वे युवा जो फाइनेंस से जुडे़ दूरस्थ व ऑनलाइन कोर्स करना चाहते हैं, उनके पास बी.कॉम के साथ एक-दो वर्ष का अनुभव होना जरूरी है। किसी युवा के पास उच्च स्तर पर फाइनेंस की डिग्री है तो वह आसानी से तरक्की की राह पकड़ सकता है।

कुछ प्रमुख पाठ्यक्रम

‘ पीजी डिप्लोमा इन फाइनेंशियल प्लानिंग एंड मैनेजमेंट ‘ बैचलर इन फाइनेंशियल एंड इनवेस्टमेंट एनालिसिस ‘ बीए/एमए इन फाइनेंस ‘ बीएससी इन फाइनेंशियल अकाउंटिंग ‘ फुल टाइम एमबीए (दो वर्षीय) ‘ पीजी डिप्लोमा इन फाइनेंशियल प्लानिंग एंड वेल्थ मैनेजमेंट ‘ पीजी डिप्लोमा इन मैनेजमेंट एंड फाइनेंशियल इंजीनियरिंग

क्या हो योग्यता

फाइनेंस में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं में धैर्य, काम के प्रति अनुशासन होने के साथ ही टैक्स बिजनेस से जुड़े कामों में रुचि होनी चाहिए। उनमें टीम वर्क, समस्या सुलझाने की क्षमता, मैथ्स, कंप्यूटर, विश्लेषण व संवाद कौशल के अलावा मार्केटिंग स्किल को भी परखा जाता है।

रोजगार की संभावनाएं

पिछले कुछ वर्षों के बाजार को देखते हुए कहा जा सकता है कि फाइनेंस में रोजगार के भरपूर अवसर हैं। बैंकिंग सेक्टर में जहां इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी मैनेजर, रिटेल रिलेशनशिप ऑफिसर, म्युचुअल फंड मैनेजर आदि के रूप में मौके मिलते हैं, वहीं फाइनेंशियल प्लानिंग से जुड़ी कंपनियों में रिलेशनशिप मैनेजर व एसोसिएट ऑडिटर जैसे कई अहम मौके मिल सकते हैं। इंश्योरेंस कंपनियों में भी कई रूपों में काम किया जा सकता है। केपीओ सेक्टर में युवा डेटा एनालिस्ट, मार्केट रिसर्चर, क्लाइंट डेवलपमेंट एनालिस्ट, बिजनेस एनालिस्ट व रिसर्च एसोसिएट के रूप में सेवाएं दे सकते हैं। इक्विटी रिसर्च फर्म में भी मौके मिलते हैं।

इन जगहों पर है मांग

फाइनेंशियल एडवाइजर : फाइनेंशियल एडवाइजर या प्लानर की सबसे अधिक जरूरत मध्यम व छोटे स्तर की कंपनियों में पड़ती है। इनकी मदद से ही बड़ी-बड़ी कंपनियां वित्तीय फैसले लेती हैं।

क्रेडिट एनालिस्ट : क्रेडिट एनालिस्ट का काम किसी क्लाइंट या कंपनी की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन कर उसके अंतर्गत आने वाले जोखिमों को दूर करना होता है।

फाइनेंशियल एनालिस्ट: यह पेशेवर मौजूदा योजनाओं पर ध्यान देते हुए कस्टमर या फर्म को वित्तीय लेखे-जोखे से अवगत कराते हैं। कंपनी की बैलेंस शीट को तैयार करने की जिम्मेदारी इन्हीं की होती है।

इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट : ये पेशेवर अपने अध्ययन के आधार पर प्रॉफिट-लॉस स्टेटमेंट तैयार करते हैं। स्टॉक बॉन्ड व अन्य वित्तीय साधनों की समीक्षा करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं की होती है। ये रिसर्च के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर प्रबंधन को स्थिति से परिचित कराते हैं। इनके अलावा कमर्शियल रियल एस्टेट एजेंट, पोर्टफोलियो मैनेजर, स्टॉक ब्रोकर की भी काफी मांग है।

सैलरी पैकेज है आकर्षक

शुरुआत में किसी कंपनी से जुड़ने पर प्रतिमाह आय 20-25 हजार रुपये होती है। जबकि 5-7 साल का अनुभव होने पर यह बढ़कर 45-55 हजार रुपये प्रतिमाह तक पहुंच जाती है। आज कई ऐसे पेशेवर हैं, जो डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह तक कमा रहे हैं। शिक्षक व कंसल्टेंट की भी अच्छी आमदनी होती है।

प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान

– डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल स्टडीज (डीयू), नई दिल्ली

– इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल प्लानिंग, नई दिल्ली

– दिल्ली स्कूल ऑफ बिजनेस, नई दिल्ली

– बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी

– अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़

– पटना यूनिवर्सिटी, पटना

– जेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, जमशेदपुर

– नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, मुंबई

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