समुद्र की निराली जीव सृष्टि है मैरीन नेशनल पार्क

अरब सागर की गोद में प्रवाल (मूंगा) द्वीपों का एक विस्तृत दयार है अंडमान निकोबार। छोटे बडे आकार के इन द्वीप समूहों का प्राकृतिक सौन्दर्य, प्रदूषण मुक्त निर्मल समीर, नारियल के वृक्षों से आच्छादित जमीन, साफ-सुथरे समुद्री तट, मूंगे की चट्टानों से घिरी नीली झीलें और उनमें तैरती असंख्य प्रजातियों की रंगबिरंगी मछलियां सुन्दरता में चार चांद लगा देती हैं। इसी नैसर्गिक वातावरण के बीच स्थित अंडमान का सुप्रसिद्ध मैरीन नेशनल पार्क देश-विदेश के सैलानियों को अपनी ओर खींच लेता है। समुद्र के जल में जो जीव सृष्टि है वह धरातल के प्राणियों से कम सुन्दर और आकर्षक नहीं। इस बात का एहसास वंडूर स्थित मैरीन नेशनल पार्क में पहुंचते ही हो जाता है। लाब्रेंथ द्वीप समूह और उससे जुडे समुद्र में पसरा मैरीन नेशनल पार्क दक्षिणी अंडमान के पश्चिमी तट पर स्थित है। क्षेत्रफल (281.5 वर्ग किलोमीटर) की दृष्टि से यह अंडमान के छह राष्ट्रीय उद्यानों मंज सबसे बडा है। मैरीन नेशनल पार्क की सीमा में 15 छोटे-छोटे प्रवाल द्वीपों का एक समूह है। लाब्रेंथ द्वीप समूह के नाम से प्रसिद्ध ये द्वीप आकार में जितने छोटे हैं उतने ही आकर्षक भी हैं। लाब्रेंथ द्वीप प्रकृति की एक अदभुत कृति हैं। यह आश्चर्य की बात है कि इनका निर्माण सामान्य धरती की तरह नहीं हुआ बल्कि इन्हें समुद्री जीव मूंगों (कोरल) ने बनाया है।

मूंगे की चट्टानों की रचना के सम्बन्ध में अनेक सिद्धान्त प्रचलित हैं। इनमें चार्ल्स डार्विन की अवधारणा सबसे अधिक मान्य है। चार्ल्स डार्विन ने सन 1842 में कहा था कि एक ज्वालामुखी के शान्त होने के परिणामस्वरूप तटीय प्रवाल भित्ति का निर्माण हुआ और उसके लगातार अवतलन के कारण यह भाग ऊपर उठा। जब ज्वालामुखी पूरी तरह शान्त हो गया तो प्रवाल द्वीप अस्तित्व में आये। इनमें कई लगून (मूंगे की चट्टानों से घिरी झील) बने। प्रवाल द्वीपों पर सबसे पहले रेत टीले के रूप में जमा हुई। पक्षियों की बीट से यह जमीन उपजाऊ बनी और भूमि पर वनस्पति का उगना सम्भव हुआ। मैरीन नेशनल पार्क में समुद्री जीव मूंगे अथवा कोरल की यह अदभुत कारीगरी देखकर आप दंग रह जायेंगे। पानी में उतरकर आप एक विशेष यन्त्र से जीवित मूंगों को भी देख सकते हैं।

मूंगों के साथ ही पानी में तैरती विभिन्न प्रजातियों की मछलियां देखकर भी आप जरूर रोमांचित हो उठेंगे। तुना, सारडिनी, एंचोव, बर्राकुडा, मुल्लेट, मैकिरिल, पोमफ्रिट, झींगा और हिल्सा यहां पाई जाने वाली मछलियों की कुछ प्रजातियां हैं। लाब्रेंथ द्वीप समूह के तटीय क्षेत्र समुद्री कछुओं के प्रजनन की भूमि है। यहां पांच प्रजातियों के समुद्री कछुए पाये जाते हैं। वाटर मोनिटर, छिपकलियां, जंगली सूअर, समुद्री सांप, लॉबस्टर, केकडा (क्रैब), घोंघा (आइस्टर) और समुद्री सांपों की कई प्रजातियां यहां देखी जा सकती हैं। समुद्री जीव जन्तुओं के साथ ही मैरीन राष्ट्रीय उद्यान अनेक दुर्लभ पक्षी प्रजातियों का भी डेरा है। इनमें निकोबारी कबूतर और समुद्री गरुड जैसे दुर्लभ पक्षी शामिल हैं।

कुल मिलाकर अण्डमान स्थित मैरीन नेशनल पार्क पर्यटन की दृष्टि से पूरी तरह विकसित है। यहां समुद्री जीव जन्तुओं के अवलोकन के साथ ही कार्वोनस कोव बीच में स्नान और तैराकी का भी मजा लूट सकते हैं। ताड और नारियल के वृक्षों से आच्छादित द्वीप समूहों की यह धरती प्रकृति प्रेमी पर्यटकों के लिये एक शानदार जगह है। मैरीन नेशनल पार्क के साथ ही आप अण्डमान की सैर भी कर सकते हैं। इनमें चिरैया टापू, माउंट हैरियट, वाइपर आइलैण्ड, चाथम द्वीप, सिप्पीघाट फार्म, रॉश आइलैण्ड और ऐतिहासिक सेल्यूलर जेल आदि दर्शनीय जगहें आसपास ही हैं। अण्डमान प्रशासन और स्थानीय लोग अपने पर्यावरण संरक्षण के प्रति बेहद सजग हैं। वे यहां पर्यटन गतिविधियों को सीमित रखना चाहते हैं। यही वजह है कि जब आप अण्डमान के खूबसूरत समुद्री तटों की सैर करते हुए मूंगे का कोई टुकडा उठा लेते हैं तो यकीन कीजिये आपका गाइड जरूर यही कहेगा कि, प्लीज थ्रो दी कोरल पीसेज बैक इन टू दि सी।

कब जाएं:- दिसम्बर से अप्रैल का समय मैरीन नेशनल पार्क की सैर के लिये सर्वोत्तम है। इस दौरान यहां मौसम खुशगवार और पर्यटन के लिये उपयुक्त होता है।

कैसे जाएं:- देश की मुख्य भूमि से वायु मार्ग अथवा जलमार्ग से अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर पहुंचकर मैरीन नेशनल पार्क जाया जा सकता है। इंडियन एयरलाइंस की कोलकाता और चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर के लिये नियमित उडानें हैं। दो सप्ताह में एक बार दिल्ली से भुवनेश्वर होते हुए भी पोर्ट ब्लेयर की हवाई यात्रा की जा सकती है।

कोलकाता, चेन्नई और विशाखापटनम से शिपिंग कारपोरेशन ऑफ इण्डिया के समुद्री जहाजों के जरिये भी आप अंडमान पहुंच सकते हैं। इसके लिये अग्रिम आरक्षण की व्यवस्था है। विदेशी पर्यटकों के लिये अंडमान की सैर के लिये विशेष अनुमति पत्र लेना अनिवार्य है। पोर्ट ब्लेयर से मैरीन नेशनल पार्क के भ्रमण के लिये अण्डमान निकोबार पर्यटन विभाग की ओर से मोटर बोट और लांच की समुचित व्यवस्था है।

प्रमुख नगरों से दूरीः पोर्ट ब्लेयर 20 किलोमीटर, विशाखापत्त्नम 1220 किलोमीटर, चेन्नई 1153 किलोमीटर, कोलकाता 1300 किलोमीटर।

कहां रहेंः वंडूर स्थित वन विश्राम गृह ठहरने के लिये एक उपयुक्त जगह है। यदि आप नारियल के पत्तों से बनी निकोबारी झोंपडी में रहने का लुत्फ लेना चाहते हैं तो पोर्ट ब्लेयर स्थित मेगापोड नेस्ट में ठहर सकते हैं। अण्डमान बीच रिसॉर्ट में भी ठहरने की उत्तम व्यवस्था है। अण्डमान में दक्षिण भारतीय एवं समुद्री मछलियों से निर्मित स्वादिष्ट व्यंजन पर्यटकों को बेहद पसन्द आते हैं।

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