गठबंधन की ढीली होती गांठ

प्रमोद शुक्ल

‘चने की झाड़’ पर चढ़ाकर पीछे से सीढ़ी खींच लेने वाली कहावत को पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने फिर एक बार चरितार्थ करके दिखा दिया है। संविधान और कानून को नजरअंदाज करते हुए मनमानी पर आमादा एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को खुलेआम संरक्षण देते हुए धरने पर बैठी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पहले तो कांग्रेस ने समर्थन देकर मनोबल बढ़ाया, फिर सुप्रीमकोर्ट का कड़ा रुख देखकर धीरे से पीछे हट गयी। बाद में तृणमूल कांग्रेस के साथ 2019 के चुनाव में कोई भी तालमेल न करने की साफ तौर पर घोषणा करके कांग्रेस ने टीएमसी से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया। विरोधी दलों के नेताओं का कोलकाता में मजमा लगाकर संयुक्त विपक्ष की नेता बनने वाली रणनीति पर सोचा-समझा कदम बढ़ा रहीं ममता बनर्जी को कांग्रेस ने ये जवाबी आईना दिखाने में जरा भी देरी नहीं की। इस बार तीसरे मोर्चे जैसी कोई औपचारिक घोषणा न होने पर भाजपा विरोधी तथाकथित महागठबंधन का नेता बनने की होड़ में कई नेता भीतर ही भीतर रणनीति बनाकर सक्रिय हैं। ऊपरी तौर पर भले ही पूरे देश में भाजपा के खिलाफ संयुक्त विपक्ष का कोई एक ही प्रत्याशी खड़ा करने की बात कही जा रही है, पर विपक्ष के ‘नेतृत्व की खिचड़ी’ पकाते हुए कई नेता साफ तौर पर सक्रिय नजर आ रहे हैं। ममता बनर्जी की छटपटाहट भी लगातार देखी जा रही है। साथ ही चंद्रबाबू नायडू और मायावती भी भीतरी तौर पर लगातार इसके लिए प्रयासरत हैं। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी खुद को किसी से हल्का नेता नहीं मानते। पर समय के साथ उनकी लोकप्रियता के ग्राफ में आयी गिरावट और बदलती छवि ने अब उनको हकीकत का अहसास करा दिया है। इसीलिए अब खुद को ऐसी किसी दौड़ से बाहर मानते हुए केजरीवाल ने अन्य नेताओं से तालमेल बैठाना शुरू कर दिया है। पिछले हफ्ते कई अलग-अलग मामलों में सुप्रीमकोर्ट ने अनुशासनहीनता पर सख्ती दिखाते हुए अधिकारियों और नेताओं को कड़े संदेश दिये। उच्चतम न्यायालय का यह रुख देखकर कांग्रेस ने राजीव कुमार वाले मामले में न सिर्फ ममता बनर्जी की पार्टी से दूरी बनायी, बल्कि चुनावी तालमेल के बारे में भी घोषणा कर दी कि उसका टीएमसी से कोई गठबंधन नहीं होने जा रहा है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने खुद इसकी घोषणा मीडिया में की। इस महत्वपूर्ण घोषणा के ठीक बाद छत्तीसगढ़ सरकार के दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को सस्पेंड कराके कांग्रेस ने यह भी दिखाने की कोशिश की कि नौकरशाहों की अनुशासनहीनता पर उसका रुख सख्त है। नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले की जांच में गड़बड़ी और बिना इजाजत फोन टेपिंग के मामले में मुकेश गुप्ता और रजनीश सिंह को छत्तीसगढ़ सरकार ने निलंबित कर दिया। 2019 का चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है, विपक्ष के तथाकथित ‘महागठबंधन’ की गांठें ढीली पड़ने लगी हैं। विपक्षी एकता का ढिंढोरा पीटने वाले भाजपा विरोधी दलों का यह राजनीतिक खेल मजेदार दौर में पहुंच चुका है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की गिरती भाषायी मर्यादा की जनता में हो रही प्रतिक्रिया को अन्य दल भी महसूस करने लगे हैं। खास तौर पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ पर बनी फिल्म ‘उरी’ की रिकार्डतोड़ सफलता ने भी आम जनता की जागरूकता और सेना से उसके भावनात्मक लगाव को जगजाहिर किया है। कांग्रेस हाईकमान भले ही ये हकीकत स्वीकार करने को तैयार नहीं है, पर अन्य दलों ने महसूस किया है कि ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के सबूत मांगने वाले नेता रक्षा सौदों पर लगातार सवाल उठाकर जनता की निगाह में हिकारत के पात्र बनते रहे। आम जनता की इस प्रतिक्रिया को समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने पहले ही महसूस कर लिया। उन्होंने घोषणा कर दी कि सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने के बाद राफेल सौदे पर जेपीसी (ज्वाइंट पार्ल्यामेंट्री कमेटी) की जरूरत नहीं रह गयी। इसके बाद भी राहुल गांधी जब राफेल सौदे का मुद्दा लगातार उछालते रहे, तब सपा-बसपा ने कांग्रेस से दूरी बनानी शुरू कर दी। इधर, पिछले दिनों दक्षिण भारत के एक अंग्रेजी अखबार ने राफेल सौदे पर कुछ सरकारी दस्तावेज प्रकाशित करके सनसनी फैलाने की कोशिश की। इस पर राहुल गांधी को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आक्रामक होने का फिर से मौका मिल गया। पर अखबार में छपे उन तथ्यों की जल्दी ही मीडिया में ही खिल्ली उड़ाई जाने लगी। कहा गया कि किसी दस्तावेज को जानबूझकर आधा-अधूरा काट-छांटकर प्रकाशित करने से अखबार की नीयत पहले ही संदिग्ध हो जाती है। राफेल डील की निगोसियेशन टीम के प्रमुख रहे एअर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने भी इस मामले में कहा कि पीएमओ ने कभी भी राफेल सौदे में दखलंदाजी नहीं की। उप वायुसेना प्रमुख ने कहा कि जिस पीएमओ के अधिकारी का जिक्र आया है, उन्हें खुद फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय से बैंक गारंटी के संदर्भ में फोन आया था क्योंकि भारतीय टीम चाहती थी कि बैंक गारंटी हो। लेकिन फ्रांस सरकार का कहना था कि ये ‘इंटर गवर्नमेंटल एग्रीमेंट’ है इसलिए बैंक गारंटी मांगकर हमारी किसी प्राइवेट कंपनी से तुलना नहीं की जानी चाहिए। इस कारण बैंक गारंटी की जगह फिर फ्रांस की सरकार ने सौदे में ‘लेटर आफ कंफर्ट’ दिया। इस तरह बोफोर्स तोप की दलाली के मामले में मीडिया जगत में अपनी खास छवि बनाने वाले इस अखबार का ये तथाकथित धमाका इस बार बहुत जल्दी ही फुस्स साबित हो गया। इसके सहारे बहुत जोश में आये कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तब तक टीएमसी से दूरी बनाने का फैसला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से घोषित करा चुके थे।

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