नई दिल्ली। पुलवामा आतंकी हमले का ठीकरा जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर फोड़ने की संभावना बढ़ती जा रही है। माहौल थोड़ा शांत होने पर उनको राज्यपाल पद से हटाया जा सकता है। उनकी जगह सेना से सेवानिवृत किसी बड़े अफसर को राज्यपाल बनाया जा सकता है। इस बारे में एक बड़े नेता का कहना है कि केन्द्रीय रिजर्व बल के जवानों पर हुए आतंकी हमले के बाद माहौल अब पाकिस्तान बनाम हिन्दुस्तान बनता जा रहा है। ऐसे में यह लोकसभा चुनाव का मुद्दा भी बन सकता है। इस वजह से जाट वोट की बहुत चिंता नहीं है, जिसके लिए उत्तर प्रदेश के जाट जाति के समाजवादी विचारधारा वाले नेता सत्यपाल मलिक को पहले बिहार का और उसके बाद जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया। इस बारे में राज्य के एक पूर्व मंत्री का कहना है कि जब नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस व पीडीपी सरकार बनाने की कोशिश कर रही थी, उस दौरान मलिक की भूमिका उनके प्रति सहानुभूति वाली रही। वह अपनी निरपेक्ष छवि चमकाने में लगे हुए थे। कुछ समय और मिल गया होता तब तो राज्य में नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस व पीडीपी की सरकार बन गई होती। उस समय उन्होंने जिस तरह का कार्य किया, जिस तरह का बयान दिया, उसको लेकर दिल्ली खुश नहीं है। उसके बाद पुलवामा में दिल दहलाने वाली आतंकी घटना होने के बाद उन्होंने जो “खुफिया फेल्योर” की बात कही, उससे घुमा-फिराकर केन्द्र सरकार, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पर आरोप लग रहा है। वैसे भी राज्य में राष्ट्रपति शासन होने के कारण सुरक्षा व प्रशासन की सभी जिम्मेदारी केन्द्र सरकार, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, केन्द्रीय व राज्य की खुफिया एजेंसियों की है। सो यह माना जा रहा है कि उन्होंने इस आतंकी हमले में परोक्ष रूप से केन्द्र को जिम्मेदार होने का संकेत दे दिया। सूत्रों के अनुसार 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के दूसरे दिन 15 फरवरी को दिल्ली में इस मुद्दे पर हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट की बैठक में अन्य गंभीर मुद्दों पर मंत्रणा के अलावा राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बारे में भी विचार-विमर्श हुआ। उसमें कुछ ने उनको तत्काल हटाकर किसी सेवानिवृत सेना अधिकारी को राज्यपाल बनाने को कहा। लेकिन इस पर अन्य ने तुरंत यह करने का संकेत अच्छा नहीं जाने की बात कह कुछ सप्ताह इंतजार करने को कहा। सूत्रों का कहना है कि संभव है यह बदलाव मार्च के पहले हफ्ते में हो जाए|
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