राइट टू किक: बेटियों के सपनों को उड़ान देने वाली एक पहल

“राइट टू किक” एक सामाजिक संगठन है, जो उन वंचित वर्ग की बालिकाओं के लिए कार्यरत है, जिन्हें जीवन में अवसरों की कमी के कारण आगे बढ़ने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह संस्था इन बालिकाओं को नि:शुल्क फुटबॉल प्रशिक्षण प्रदान करती है, ताकि वे शारीरिक रूप से सशक्त बनने के साथ-साथ आत्मविश्वास, अनुशासन और नेतृत्व जैसे गुणों का भी विकास कर सकें।

इस संगठन की स्थापना आनंद सर ने की — एक कुशल फुटबॉल कोच और संवेदनशील समाजसेवी, जिन्होंने यह महसूस किया कि पिछड़े और संसाधनहीन समुदायों की बेटियाँ यदि खेलों के माध्यम से सही दिशा और अवसर प्राप्त करें, तो न केवल अपनी पहचान गढ़ सकती हैं, बल्कि अपने समुदाय के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इसी सोच के साथ “राइट टू किक” की नींव रखी गई — एक ऐसा मंच जो खेल को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बनाता है।

आनंद सर का सपना सिर्फ खेल सिखाने तक सीमित नहीं था। वे चाहते थे कि ये बालिकाएँ मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से भी मजबूत बनें। अपने जीवन का बड़ा हिस्सा उन्होंने इन बेटियों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। आज उनकी प्रेरणा से प्रशिक्षित कई बालिकाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही हैं।

बालिकाओं को और बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से रोटरी क्लब ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए संस्था के परिसर में एक आधुनिक चेंजिंग रूम और एक कक्षा कक्ष (क्लासरूम) का निर्माण करवाया है। ये सुविधाएँ खिलाड़ियों को एक सुरक्षित, सम्मानजनक और प्रेरणादायक वातावरण देंगी, जहाँ वे खेल के साथ-साथ शिक्षा और व्यक्तित्व विकास में भी आगे बढ़ सकेंगी।

“राइट टू किक” उन बच्चियों के सपनों को साकार करने का माध्यम बन चुका है, जो खेलों के ज़रिए जीवन में ऊँचाइयाँ छूने का सपना देखती हैं, परंतु संसाधनों की कमी उन्हें रोक देती है। यह संस्था न केवल फुटबॉल प्रशिक्षण देती है, बल्कि आत्मबल, नेतृत्व क्षमता और सामुदायिक भावना का भी विकास करती है।

इस विशेष अवसर का उद्घाटन गवर्नर श्री विपिन झांझर के कर-कमलों द्वारा संपन्न हुआ। कार्यक्रम में रोटरी क्लब के अध्यक्ष श्री गौरव बागरोय, सेक्रेटरी डॉ. ख्याति मुनजल, असिस्टेंट गवर्नर श्री दीपक श्रीवास्तव समेत अनेक रोटेरियन्स की गरिमामयी उपस्थिति रही। सभी ने मिलकर इस पहल की सराहना की और “राइट टू किक” के कार्यों को और भी ऊँचाइयाँ छूने की शुभकामनाएँ दीं।

यह आयोजन केवल सुविधाओं के उद्घाटन का समारोह नहीं था, बल्कि एक विचार का उत्सव था — बेटियों को समान अवसर देने और उनके सपनों को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम।

“राइट टू किक” जैसी संस्थाएँ आज समाज में बदलाव की असली ताकत बन रही हैं, और आनंद सर जैसे व्यक्तित्व यह सिद्ध करते हैं कि यदि सही मार्गदर्शन और संसाधन मिलें, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता। उनका समर्पण, दूरदृष्टि और साहस आज हजारों बालिकाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।

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