यूनिसेफ ने बाल पत्रकार सम्मेलन “वॉयस ऑफ चेंज’’ का आयोजन किया

Ranchi: रांची और पश्चिमी सिंहभूम जिले के 10 प्रखंडों केे 170 से अधिक यूनिसेफ बाल पत्रकारों ने इस समिट में भाग लिया। उन्होंने रचनात्मक प्रस्तुतियों और सार्थक चर्चाओं के माध्यम से बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों और इस कार्यक्रम से मिली जागरूकता को प्रस्तुत किया।
रांची, 23 मई 2025: यूनिसेफ झारखंड ने नवभारत जागृति केंद्र (एनबीजेके) के सहयोग से रांची के होटल हॉलीडे होम में बाल पत्रकारों के सम्मेलन “वॉयस ऑफ चेंज’’ का आयोजन किया। इस समिट में रांची एवं पश्चिमी सिंहभूम जिलों के 10 प्रखंडों के 170 से अधिक बाल पत्रकार शामिल हुए, जिन्होंने अपनी कला, एवं रचनात्मकता के माध्यम से बाल अधिकार के मुद्दों को प्रस्तुत किया और सभी बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण और संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित किया।
इस कार्यक्रम में जेईपीसी के राज्य परियोजना निदेशक श्री शशि रंजन, आईएएस, डॉ. कनीनिका मित्र, प्रमुख, यूनिसेफ झारखंड; श्री बादल राज, डीएसई, रांची; श्री विनय कुमार, डीईओ, रांची; श्री टोनी प्रेमराज टोप्पो, डीईओ, पश्चिमी सिंहभूम; सुश्री आस्था अलंग, संचार विशेषज्ञ, यूनिसेफ; सुश्री पारुल शर्मा, शिक्षा विशेषज्ञ, यूनिसेफ के अलावा, श्री आनंद अभिनव, कार्यक्रम निदेशक, एनबीजेके के अलावा रांची जिले के विभिन्न प्रखंडों के बीईईओ, बीपीओ, शिक्षकों और अभिभावक ने भी भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए जेईपीसी के राज्य परियोजना निदेशक, श्री शशि रंजन ने बाल पत्रकारों के साहस और अभिव्यक्ति क्षमता की सराहना करते हुए कहा, ‘‘इन बाल पत्रकारों द्वारा प्रदर्शित आत्मविश्वास और जागरूकता अत्यंत प्रशंसनीय है। बच्चों के अधिकारों तथा उनके मुद्दों पर आधारित इनकी सफलता की कहानियां सिर्फ उनके व्यक्तिगत विकास को ही नहीं दर्शातीं, बल्कि समुदायों में उनके द्वारा लाए गए सकारात्मक परिवर्तन को भी प्रदर्शित करती है। यह पहल दर्शाती है कि यदि बच्चों को सही मौका और सहयोग मिले तथा उन्हें नेतृत्व का मंच दिया जाए, तो वे असाधारण क्षमताएँ दिखा सकते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि बच्चों की आवाजों को सुनना अधिक समावेशी और उत्तरदायी व्यवस्था के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।”
श्री शशि रंजन ने आगे कहा, ‘‘बाल पत्रकार पहल को हर जिले और हर स्कूल में लागू किया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें बच्चों को बाल विवाह, बाल श्रम और अन्य चुनौतियों से उन्हें सुरक्षित करने की क्षमता है। साथ ही यह उनके अंदर मौजूद संभावनाओं को हासिल करने और अपने सपनों को पूरा करने में सहायक हो सकता है। यह कार्यक्रम बच्चों को आत्मविश्वासी और मुखर बनने में सक्षम बनाएगा।’’
यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डॉ. कनीनिका मित्र ने अपने संबोधन के दौरान बच्चों की आवाजों को सुनने और उनके अनुकुल वातावरण निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “सभी बच्चों को अपनी बातों को रखने और उन्हें सुने जाने का अधिकार प्राप्त है। बच्चों को प्राप्त यह अधिकार केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक सार्थक भागीदारी होनी चाहिए। बाल पत्रकार कार्यक्रम इस बात का सशक्त उदाहरण है कि जब बच्चों को उचित मंच तथा अवसर और समर्थन मिलता है, तो वे अपने परिवार, स्कूल और समुदायों में वास्तविक बदलाव ला सकते हैं। बच्चांे की समस्याओं एवं चुनौतियों को लेकर उनके अनुभव हमें एक अनोखा दृष्टिकोण प्रदान कर सकते हैं, जिसे अक्सर बड़े लोग नजरअंदाज कर देते हैं। अब समय आ गया है कि हम बच्चों की आवाजों को नीति निर्माण और शासन प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बनाएं।”

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