अपने शहर का आदमी… धारावाहिक की दसवीं कड़ी !! पाँच रूपैया वाला डाॅक्टर !! पद्मश्री डाॅक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर एक विडियो बुक

Ranchi: अपने शहर की ख्यातिप्राप्त हस्तियाँ समय के साथ चुकती जा रहीं हैं। उनके कार्यों और उपलब्धियों को सहेज कर सुरक्षित रखना और आने वाली पीढ़ियों को विरासत के रूप में सौंपना इस धारावाहिक का मुख्य उद्देश्य है। यह एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक जिम्मेदारी है। सूचना क्रान्ति के इस युग में कला-मनीषियों की थाती को, डेटा के रूप मंे, आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना आवश्यक है ताकि वे इन सब से अच्छी तरह रूबरू हो सकें।
‘अपने शहर का आदमी’ का निर्माण, इलेक्ट्रोनिक माध्यम से पुस्तक-लेखन जैसा है। इस विडियो-बुक में पाठक/दर्शक/श्रोता, लेखक की केवल कल्पनाशीलता और शब्द ही नहीं पढ़ते बल्कि पात्रों से रूबरू होकर परिस्थितियों का साक्षात दर्शन भी करते हैं। ऐसी किताबों से हम स्वयं की वर्चुअल दुनिया नहीं रचते बल्कि पात्रों की वास्तविकता देखते और पढ़ते हैं, इसलिये हम सत्य के करीब पहुँच पाते हैं। ऐसा मानते हुए ही मै इस तरह के ‘विडियो बुक’ का लेखन ‘‘अपने शहर का आदमी…’’ के रूप में कर रहा हूँ।
इस विडियो फ़िल्म का बनाना उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना इसे एक विरासत-डेटा के रूप में आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित कर देना महत्वपूर्ण है क्योंकि इतिहास की बुनियाद पर ही भविष्य की नींव पड़ती है। आने वाली पीढ़ियों में इतिहास से सबक लेने, भविष्य की योजना बनाने तथा वर्तमान में कार्यसंलग्न रहने की आदत डालनी होगी तब ही अपने शहर के कला-साधकों की थाती को, वे भी बचा सकेंगे।
2007 में विचारों से शुरू होकर 2009 में धरातल पर उतरे अपने शहर का आदमी… शृंखला की यह दसवीं कड़ी है। सितारवादक प्रभात ठाकुर पर ‘‘कांकिला के सुर, से आरंभ होकर दसवीं कड़ी पर पहुंचना एक यात्रा-पड़ाव है ‘‘पाँच रूपैया वाला डाॅक्टर ’’…..

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