बच्‍चों को ऑनलाइन रखना है सेफ? ये टिप्‍स आएंगे काम

आज भारत में बाल दिवस मनाया जा रहा है। डिजिटलाइजेशन के दौर में अब बच्‍चे टेक्‍नॉलजी का भरपूर इस्‍तेमाल कर रहे हैं। फेसबुक, ट्विटर हो या फिर इंस्‍टाग्राम, वॉट्सऐप, बच्‍चे हर जगह इन प्‍लैटफॉर्म्‍स काफी ज्‍यादा ऐक्‍टिव हैं। इसके फायदे हैं तो नुकसान भी। पैरंट्स के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्‍चों को ऑनलाइन सेफ रखें। इस गैलरी के जरिए हम कुछ ऐसे टिप्‍स बता रहे हैं कि पैरंट्स कैसे अपने बच्‍चों को ऑनलाइन सेफ रख सकते हैं… ​लोकेशन परमिशन कुछ भी पोस्‍ट करने से पहले एक बार सोचें।…

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बाल कहानी : गणित

-दीपक मशाल- अरे कुर्सी खींचकर बैठ जाइए, खड़े मत रहिए। दो मिनट में मुखातिब होता हूँ आपसे। अरे नहीं… नहीं आपसे नहीं कह रहा, आपसे तो बात कर ही रहा हूँ। हाँ बिलकुल निश्चिंत रहिए, आपने कहा है तो काम होगा ही। अच्छा नमस्ते… नमस्ते। बात खत्म होते ही मंत्री महोदय ने फोन वापस चोगे से टिका दिया। सर, आपने याद किया? अफसर ने एक भी पल गँवाए बिना पूछा। हाँ जी, क्यों पीछे पड़े हैं आप मेरे सिंह सा’ब? चैन से जीने क्यों नहीं देते। सर!! कोई गुस्ताखी हुई…

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पुनर्मिलन (बाल कहानी)

-जोहन पीटर हेबेल- (जोहन पीटर हेबेल (1760-1826) जर्मन लेखकों में अपनी छोटी-छोटी कहानियों के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। प्रस्तुत कहानी प्रेम की एक अखिण्डत प्यास और एक ऐसे विश्वास की कहानी है, जिसके सहारे आदमी अपनी तमाम भावी सम्भावनाओं के प्रति समर्पित हो जाता है।) कोई पचास बरसों से भी पहले की बात है कि फालुन में-जो कि स्वीडन में है-एक युवक खनिक ने अपनी प्रेमिका का चुम्बन लिया और उससे बोला, सेण्ट लूसी के दिन धर्म-गुरु हमारे प्यार को आशीर्वाद देंगे। तब हम पति-पत्नी बन जाएंगे-और…

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बाल कहानी : सबसे अच्छी मम्मी

-हरीश कुमार ‘अमित’- अक्षय चौथी कक्षा में पढ़ता था। पढ़ाई में अच्छा था, पर शरारतें भी ख़ूब करता था। अपनी शरारतों से वह बाज़ नहीं आता था, चाहे जितना भी समझा लो। किसी-न-किसी शरारत की योजना उसके दिमाग़ में हमेशा कुलबुलाती ही रहती। न जाने कैसे उसे नई-नई शरारतें सूझ जाती थीं। उसकी शरारतों की सबसे ज़्यादा शिकार उसकी मम्मी ही बनती थीं। अपने पापा से तो वह बहुत डरता था और उनसे कोई शरारत करने की हिम्मत कर नहीं पाता था। पापा तो वैसे भी सारा दिन ऑफिस में…

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कहानी : अपनी तुलना दूसरों से न करें

एक बार की बात है, किसी जंगल में एक कौवा रहता था, वो बहुत ही खुश था, क्योंकि उसकी ज्यादा इच्छाएं नहीं थीं। वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट था, लेकिन एक बार उसने जंगल में किसी हंस को देख लिया और उसे देखते ही सोचने लगा कि ये प्राणी कितना सुन्दर है, ऐसा प्राणी तो मैंने पहले कभी नहीं देखा! इतना साफ और सफेद। यह तो इस जंगल में औरों से बहुत सफेद और सुंदर है, इसलिए यह तो बहुत खुश रहता होगा। कोवा हंस के पास गया और पूछा,…

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बाल कहानी : आखिरी दरवाजा

-यशपाल जैन- एक फकीर था। वह भीख माँगकर अपनी गुजर-बसर किया करता था। भीख माँगते-माँगते वह बूढ़ा हो गया। उसे आँखों से कम दिखने लगा। एक दिन भीख माँगते हुए वह एक जगह पहुँचा और आवाज लगाई। किसी ने कहा, ‘आगे बढ़ो! यह ऐसे आदमी का घर नहीं है, जो तुम्हें कुछ दे सके।’ फकीर ने पूछा, ‘भैया! आखिर इस घर का मालिक कौन है, जो किसी को कुछ नहीं देता?’ उस आदमी ने कहा, ‘अरे पागल! तू इतना भी नहीं जानता कि यह मस्जिद है? इस घर का मालिक…

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गलत लाइफस्टाइल है बच्चों में डायबिटीज का कारण, यूं करें बचाव

डायबिटीज देश में तेजी से बढऩे वाली बीमारियों में से एक है। रिसर्च की मानें तो पिछले 25 साल में इस बीमारी के मामलों में 64 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है और विशेषज्ञ इस बढ़ौतरी को देश की आर्थिक प्रगति के साथ जोड़कर देख रहे हैं। इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि आने वाले 6 सालों में देश में इस बीमारी के मरीजों की संख्या 13.5 करोड़ से ज्यादा हो सकती है, जो वर्ष 2017 में 7.2 करोड़ थी। इंडियन काऊंसिल ऑफ मैडीकल रिसर्च, इंस्टीच्यूट फॉर हैल्थ…

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जेनरेशन गैप

-निधि जैन- हमारा जमाना,“अम्मा… अम्मा… मैं पास हो गया।” “तो का करूँ हो गया पास तो… अब फिर जान खाएगा… नई किताबें माँगेगा… चल अब छुट्टियों में बापू के साथ काम पर जइयो तभी किताबें मिलेंगी…”  “अम्मा एक साइकिल तो दिला दे।” “बापू की है न उसी को चला…” “अम्मा वो बहुत बड़ी है…” “तो तू भी तो बड़ा होगा… जा यहाँ से… चलाना हो तो चला… नखरे मत दिखा…।” हमारे बच्चों का जमाना मम्मी चिंतित हैं। बेटे का रिजल्ट आने वाला है और बेटे से पहले माँ को खबर…

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बाल-कहानी : गरीबों की पहचान

-संजय कुमार श्रीवास्तव- एक समय की बात है। कि एक छोटे से गांव में रामू नाम का व्यक्ति रहता था। वह बहुत गरीब था वह अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए वह दिन रात मेहनत करता और उससे जो चार पैसे मिलते वह अपने बच्चों की किताबे व कॉपी लाता और फीस जमा कर देता था । उसके मन की अभिलाषा थी कि उसके बच्चे इस दुनिया में कुछ कर दिखाए। रामू गांव के मुखिया के वहां काम पर जाता और भैंसों के लिए चारा फट्टा लाता उसी से अपना…

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लोमड़ी और सारस

एक बार की बात है, एक जंगल में चालाक लोमड़ी था जो हर किसी जानवर को अपनी मीठी बातों में फंसा कर कुछ न कुछ ले-लेता था या खाना खा लेता था। उसी जंगल में एक सारस पक्षी रहता था। लोमड़ी ने अपने चालाकी से उसे दोस्त बनाया और खाने पर घर बुलाया। सारस इस बात पर खुश हुआ और लोमड़ी के घर खाने बार जाने के लिए आमंत्रण स्वीकार कर लिया। अगले दिन सारस, लोमड़ी के घर खाने पर पहुंचा। उसने देखा लोमड़ी उसके लिए और अपने लिए एक-एक…

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